उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से तलब की बाघ और संबंधित प्रजातियों के संरक्षण की ताजा जानकारी

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य को बाघों और सम्बंधित प्रजातियों के संरक्षण की स्थिति के बारे में ताजा जानकारी देने को कहा है

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Thursday 24 August 2023
 

मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की अध्यक्षता में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य को बाघों और सम्बंधित प्रजातियों के संरक्षण की स्थिति के बारे में ताजा स्थिति की जानकारी देने को कहा है। कोर्ट ने इस बारे में मूल रूप से 2004 में तैयार की गई रिपोर्ट 'तराई आर्क लैंडस्केप में बाघ और संबंधित प्रजातियों के संरक्षण' को अपडेट करने के लिए कहा है।

इसके साथ ही, अदालत ने आदेश दिया है कि 20 दिसंबर, 2023 को अगली सुनवाई से पहले राज्य द्वारा प्रस्तुत हलफनामे में राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघ संरक्षण योजना की प्रगति का भी जिक्र होना चाहिए।

इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील अभिजय नेगी ने अदालत को जानकारी दी है कि याचिकाकर्ता अनु पंत ने अपने हलफनामे में राज्य में इंसानों और जानवरों के बीच बढ़ते संघर्ष को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के तरीके सुझाने के लिए कुछ पहलुओं पर प्रकाश डाला है।

उन्होंने अदालत का ध्यान अनामलाई, सरिस्का और दुधवा टाइगर रिजर्व में इस्तेमाल किए गए सफल तरीकों के साथ ही तमिलनाडु द्वारा बनाए गए एक डैशबोर्ड की ओर आकर्षित किया है, जो ऐसी घटनाओं के बारे में जानकारी अपडेट करता है। केरल में उपयोगकर्ताओं के अनुकूल वेबसाइट के बारे में भी अदालत को अवगत कराया गया है। प्रतिनिधि ने बताया कि ये वेबसाइटें सूचना का अधिकार अधिनियम का उपयोग किए बिना जनता के लिए जानकारी सुलभ बनाती हैं।

इस बारे में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव आर के सुधांशु ने कहा है कि पिछले साल उत्तराखंड में इंसानों और जानवरों के बीच संघर्ष में 61 फीसदी की कमी आई है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि अन्य राज्यों की तुलना में राज्य में तेंदुओं और बाघों की संख्या काफी अधिक है। इसके अतिरिक्त, उत्तराखंड में इन बड़ी बिल्लियों का जनसंख्या घनत्व किसी भी अन्य राज्य की तुलना में अधिक है।

राजाजी टाइगर रिजर्व के संबंध में उन्होंने बताया कि बाघ संरक्षण योजना वर्तमान में विकसित की जा रही है और उसके करीब दो महीनों के भीतर पूरा होने की उम्मीद है। एक बार इसके पूरा होने पर, इसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को सौंप दिया जाएगा।

पूरा हो चुका है कावेरी नदी के किनारे वर्षों से जमा कचरे को हटाने का काम

इरोड नगर निगम ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 को सफलतापूर्वक लागू किया है। उन्होंने 100 फीसदी गीले, सूखे और निर्माण एवं विध्वंस सम्बन्धी कचरे के प्रसंस्करण और निपटान का लक्ष्य हासिल कर लिया है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने वेंडीपालयम और वैरापालयम डंपिंग यार्ड में जैव-खनन का काम पूरा कर लिया है।

जानकारी दी गई है कि वैरापालयम में कावेरी नदी के किनारे वर्षों से जमा कचरे को साफ करने के लिए जैव-खनन तकनीक का प्रभावी ढंग से उपयोग किया गया है। इसके परिणामस्वरूप कावेरी नदी को दूषित करने वाले ठोस और वर्षों से जमा कचरे को पूरी तरह हटा दिया गया है। फिलहाल कोई भी कचरा कावेरी नदी को प्रदूषित नहीं कर रहा है।

इतना ही नहीं वेंडीपलायम में करीब छह लाख क्यूबिक मीटर पुराने कचरे को जैव-खनन तकनीक का उपयोग करके साफ किया गया है।

यह जानकारियां 22 अगस्त, 2023 को इरोड सिटी नगर निगम ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को दी है।

दादा सीबा वन क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई का मामला, कर ली गई है अपराधियों की पहचान

हिमाचल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचपीएसपीसीबी) ने एनजीटी को सौंपी अपनी एक रिपोर्ट में जानकारी दी है कि वन अधिकारियों ने दादा सीबा वन रेंज के रेल बीट क्षेत्र में पेड़ों को अवैध रूप से काटने और हटाने के लिए जिम्मेवार लोगों की पहचान की है। उनके कब्जे से खैर के पेड़ की लकड़ियां बरामद की हैं। हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने यह भी बताया है कि अपराधियों से मुआवजा शुल्क भी वसूला गया है।

वन अधिकारियों ने अनधिकृत रूप से की गई पेड़ों की कटाई का विवरण देते हुए नुकसान की रिपोर्ट तैयार कर ली है। उन्होंने मुआवजा शुल्क एकत्र कर लिया है, जिसे सरकारी खजाने में जमा कर दिया गया है। वन विभाग ने इसकी क्षतिपूर्ति और जन जागरूकता बढ़ाने के लिए भी कार्रवाई शुरू कर दी है।

जंगल और वन्यजीवों को अवैध गतिविधियों से बचाने के लिए, दादासीबा रेंज के वन कर्मचारी ने जगह जगह पर चौकियां बनाई है और समूह में नियमित गश्त की जा रही है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि एचपीएसपीसीबी के अधिकारियों ने दादासीबा वन विभाग के सहयोग से जागरूकता और वृक्षारोपण अभियान चलाया है।

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