सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए निजी क्षेत्र से छुटकारा जरूरी: रिपोर्ट

2030 तक गरीबी, पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए विकासशील व कम आय वाले देशों में भारी निवेश की जरूरत है, इसके लिए सार्वजनिक क्षेत्र को आगे आना होगा 

By Jitendra

On: Wednesday 25 September 2019
 

वर्तमान में 2030 तक सतत विकास का लक्ष्य हासिल करने के लिए देशों को कर्ज लेना पड़ रहा है और यह कर्ज इतना अधिक है कि इससे पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है। इसकी मुख्य वजह निजी क्षेत्र के बढ़ते दखल और सार्वजनिक निवेश में आ रही कमी है।

25 सितंबर को जारी यूनाइटेट नेशन कांफ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट (यूएनसीटीडी) की ट्रेड एंड डेवलपमेंट रिपोर्ट 2019 में कहा गया है कि अगर सतत विकास लक्ष्य 2030 तक हासिल करने हैं तो प्राइवेट सेक्टर की बजाय दूसरे रास्ते तलाशने होंगे। यहां तक कि उच्च आय वाले देशों पर भी कर्ज तेजी से बढ़ रहा है। इन पर 2017 में उनकी जीडीपी से 165 फीसदी अधिक कर्ज था।

1980 में फाइनेंस सेक्टर के डि-रेग्युलेशन के बाद वैश्वीकरण के नाम पर आर्थिक उदारीकरण के बहाने निजी क्षेत्र को बढ़ावा दिया गया और उसे फायदा पहुंचाया गया।रिपोर्ट बताती है कि 1980 में वैश्विक ऋण 16 ट्रिलियन डॉलर था, जो 2017 में 13 गुणा बढ़कर 213 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया। इसमें निजी क्षेत्र का योगदान 12 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 145 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया।

रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि निजी क्षेत्र उत्पादकता और समावेशी विकास को बढ़ावा देने में विफल रहा। उसने बैंकिंग के माध्यम से सट्टा गतिविधियों को बढ़ावा दिया। इससे आय असमानता काफी बढ़ गई। निजी क्षेत्र ने केवल बाजार में अस्थिरता पैदा करने वाले उत्पादों का निर्माण किया और वित्तीय परिसंपत्तियों की खरीद के लिए सार्वजनिक ऋणों का इस्तेमाल किया। इससे आर्थिक अस्थिरता को बढ़ावा मिला है। 

2030 तक गरीबी, पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए विकासशील व कम आय वाले देशों में भारी निवेश की जरूरत है। ऐसा न होने पर इन विकासशील देशों पर जीडीपी के मुकाबले ऋण का अनुपात 47 फीसदी से बढ़कर 185 फीसदी हो जाएगा।

रिपोर्ट में साफ-साफ कहा गया है कि वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में यह संभव नहीं है। 2019 में पूरा विश्व आर्थिक मंदी का सामना कर रहा है। यह स्पष्ट संकेत हैं कि यह आर्थिक मंदी 2020 में पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगी।

रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि 2030 के लक्ष्य को हासिल करने के लिए नई ग्रीन डील की रणनीति बनानी होगी और सार्वजनिक निवेश को बढ़ाना होगा। इससे वित्त आधारित विकास की वजह वेतन आधारित विकास को बढ़ावा मिलेगा।

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