जोशीमठ में भूधंसाव क्यों, भाग तीन: जीएसआई ने कहा- भूधंसाव कोई नई समस्या नहीं

जीएसआई ने कहा कि नई दरारें उन क्षेत्रों में नहीं हैं, जहां भारी बस्तियां मौजूद नहीं हैं

By Raju Sajwan

On: Tuesday 03 October 2023
 
जोशीमठ के सिंहधार इलाके में लगभग गिरने के कगार पर खड़ा एक मकान। फोटो: राजू सजवान

जोशीमठ में हुए भूधंसाव के लिए भारतीय भूविज्ञान सर्वेक्षण (जीएसई) ने साफ तौर पर तपोवन विष्णुगाड़ पनबिजली परियोजना को क्लीन चिट दे दी है और कहा है कि जोशीमठ में धंसाव का इतिहास लगभग पांच दशक पुराना है। साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया है कि जिन इलाकों में बसावट कम है, उन इलाकों में भूधंसाव नहीं हुआ है। 

उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार द्वारा सार्वजनिक की गई आठ एजेंसियों की रिपोर्ट में जीएसई की रिपोर्ट भी शामिल है। हालांकि जीएसई की टीम ने यह रिपोर्ट फरवरी 2023 में ही सौंप दी थी। इन रिपोर्ट्स के सार को डाउन टू अर्थ सिलसिलेवार प्रकाशित कर रहा है। पहली रिपोर्ट में आपने पढ़ा - कहीं छोटे-छोटे भूंकप तो नहीं थे वजह? । दूसरी रिपोर्ट में आपने पढ़ा- पीडीएनए रिपोर्ट में एनटीपीसी के हाइड्रो प्रोजेक्ट का जिक्र तक नहीं । आज पढ़ें, जीएसई रिपोर्ट का सार-  

रिपोर्ट के मुताबिक जीएसआई ने जोशीमठ में 81 दरारों की पहचान की थी। इनमें से 42 दरारें हाल की हैं, जो 02.01.2023 को रिपोर्ट की गई धंसाव की हालिया घटना से जुड़ी थी, जबकि बाकी 39 दरारें पुरानी हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसआई के पिछले अध्ययनों से संकेत मिलता है कि जोशीमठ ऐसे ढलान पर बसा है, जहां ढीला व असंगठित मलबा पड़ा है। यही वजह है कि जोशीमठ क्षेत्र में धंसाव के साथ-साथ खिसकने और बैठने की समस्याएं नई नहीं हैं। पिछले 4-5 दशकों के दौरान पहले भी कई मौकों पर ये रिपोर्ट की जाती रही हैं। 

रिपोर्ट के मुताबिक जमीन में आई हाल की दरारें ज्यादातर सुनील गांव, मनोहर बाग, सिंगधार और मारवाड़ी वार्डों में आई है, जो लगभग एक सीध में नीचे से ऊपर की ओर है, जिसकी चौड़ाई 50 से 60 मीटर के आसपास है।

रिपोर्ट में जीएसआई ने कहा कि दरारें उन क्षेत्रों में नहीं हैं, जहां भारी बस्तियां मौजूद नहीं हैं। इसका अर्थ है कि दरारें उन इलाकों में ज्यादा है, जहां घनी आबादी वाली बस्तियां हैं। 

जेपी कॉलोनी के पास पानी निकलने की जांच के बाद रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बिंदु के अलावा जोशीमठ में कहीं और गंदा पानी नहीं निकल रहा है। यह प्वाइंट प्रभावित इलाकों की सीध सबसे निचले हिस्से मारवाड़ी में स्थित है। दो जनवरी 2023 को पानी का बहाव 600 लीटर प्रति मिनट (एलपीएम) से कम होकर दो फरवरी 2023 को 17 एलपीएम रह गया, जिससे यह पता चलता है कि वहां काफी पानी जमा था और यह पानी घटने के साथ-साथ वहां भधंसाव की घटनाएं बढ़ती गई।

केंद्रीय भूजल बोर्ड और राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) द्वारा किए गए उप-सतह अध्ययनों से भी यह स्पष्ट हुआ है कि मारवाड़ी में जेपी कॉलोनी के पास निकल रहे पानी का केंद्र घनी बसावट वाले क्षेत्र के नीचे बने एक ऐसे जलीय क्षेत्र से सीधे जुड़ा हुआ था, जो 18-48 मीटर मोटा था। जिसका जोशीमठ में हुए भूधंसाव से सीधे संबंध हो सकता है। 

रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया कि जेपी कॉलोनी में निकल रहे पानी का एनटीपीसी लिमिटेड के तपोवन-विष्णुगाड हाइडल प्रोजेक्ट के एचआरटी (हेड रेस टनल) से कोई संभावित संबंध नहीं है। यहां यह उल्लेखनीय है कि स्थानीय लोगों और कुछ विशेषज्ञों का कहना था कि जेपी कॉलोनी में निकल रहा पानी एनटीपीसी की सुरंग से निकल कर यहां आ रहा है। 

जीएसई ने कहा है कि एनटीपीसी की सुरंग जोशीमठ के शहरी विस्तार से लगभग 1.1 किमी की पार्श्व दूरी पर स्थित है। ड्रिल एवं ब्लास्ट मैथेड (डीबीएम) से लगभग 3.5 किलोमीटर सुरंग की खुदाई की जा रही है, लेकिन यह क्षेत्र जोशीमठ से चार किलोमीटर दूर है। इसलिए, प्रथम दृष्टया किसी भी विस्फोट से होने वाली क्षति का सवाल बहुत ही असंभावित है।

जीएसआई की रिपोर्ट के अनुसार जोशीमठ शहर सक्रिय हिमालयन फोल्ड-थ्रस्ट बेल्ट (एफटीबी) के उत्तराखंड खंड के भीतर स्थित है। हिमालय एफटीबी का यह हिस्सा कई रैखिक लोचदार कतरनी क्षेत्रों द्वारा प्रतिबंधित है, जो इसे विभिन्न आयामों के कई टेक्टोनिक स्लाइस में विभाजित करता है और यह दक्षिण में मेन बाउंड्री थ्रस्ट और उत्तर में सिंधु त्सांगपो सिवनी जोन (आईटीएसजेड) से घिरा है। यह क्षेत्र केंद्रीय क्रिस्टलीय समूह की चट्टानों के बारे में भी बताता है, जो कि गढ़वाल समूह की चट्टानों के ऊपर से होकर गुजरती हैं, जहां चमोली और पीपलकोटी है। 

यहां यह उल्लेखनीय है कि जोशीमठ शहर के पूर्वी भाग में दो मुख्य बारहमासी धाराए मौजूद हैं, जो एटी नाला और परसारी नाला हैं, जो उत्तर-पूर्व की ओर बहती हुई धालीगंगा नदी में मिलती हैं, जबकि एक अन्य बारहमासी धारा जोगीधारा जोशीमठ के पश्चिमी हिस्से में स्थित है, जो एनएनडब्ल्यू दिशा की ओर बहती है और अलकनंदा नदी में मिलती है। जोशीमठ शहर के भीतर कई झरने हैं। इनके रिसाव को भी भूधंसाव का कारण माना जा रहा है।

Subscribe to our daily hindi newsletter