मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ला रही मिलेट मिशन

सरकार कई दौर की बैठकों के बाद मिलेट मिशन कॉरपोरेशन बनाने जा रही है। इस प्रोजेक्ट में कोदो, कुटकी, ज्वार, बाजरा, रागी, समा इत्यादि फसलों को शामिल किया जाएगा

By Manish Chandra Mishra

On: Thursday 05 March 2020
 
फोटो: विकास चौधरी

मध्यप्रदेश में पोषण और स्वाद से भरपूर मोटे अनाज के दिन फिरने वाले हैं। किसान खराब बाजार, बीजों की अनुपलब्धता और जागरूकता के अभाव में मिलेट्स श्रेणी के अनाज से दूर होते जा रहे हैं। सरकार ने इस बात को ध्यान में रखकर इस वर्ष मिलेट अनाजों के लिए एक नीति बनाने की घोषणा की। इसके तहत छोटे दानों का खाद्यान्न उत्पादन और उपयोग बढ़ाने के लिए मिलेट मिशन कार्पोरेशन बनाया जाएगा। 

कमल नाथ ने अधिकारियों को मिलेट मिशन को गति देने के लिए निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने संबंधित विभागों के जिला अधिकारियों की बैठक में कहा कि प्रोजेक्ट में कोदो, कुटकी, ज्वार, बाजरा, रागी, समा इत्यादि फसलों को शामिल किया जाए  प्रोजेक्ट में ऑर्गेनिक खेती की जैविक प्रमाणीकरण की प्रक्रिया को शामिल करते हुए प्रोसेसिंग एवं मार्केटिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराने की बात शामिल है। डाउन टू अर्थ ने पिछले वर्ष मोटे अनाजों की बुवाई में लगातार ही रही कमी की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था।

(मोटे अनाज से दूर भाग रहा किसान, आधी रह गई बुआई ) इस खबर में उत्पादन के साथ इन अनाजों के लिए बाजार नहीं होने की बात भी सामने आई थी।

मुख्यमंत्री कमल नाथ ने फरवरी में हुई मिलेट मिशन की समीक्षा बैठक के दौरान कोदो-कुटकी के उत्पादन को दोगुना करने और इसके उपार्जन के साथ ही उत्पादों की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग करने के निर्देश अधिकारियों को दिए। मुख्यमंत्री ने पर्यटन विभाग के होटलों में कोदो-कुटकी से बने व्यंजनों को मेन्यू में शामिल करने तथा उनके बिक्री केंद्र भी अनिवार्य रूप से स्थापित करने के निर्देश दिए हैं।

उन्होंने कहा कि कोदो-कुटकी, ज्वार-बाजरा एवं मक्का ऐसी फसलें हैं, जो ज्यादातर आदिवासी इलाकों में होती हैं और जिसका जरूरत के मुताबिक आदिवासी उत्पादन करते हैं। वह मानते हैं कि यह एक ऐसी प्रीमियम फसल है, जो स्वास्थ्यवर्धक है। इस कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी मांग है।

आदिवासी किसान के लिए 50 फीसदी फसल का लक्ष्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि निजी क्षेत्र के सहयोग से कोदो-कुटकी के बुवाई क्षेत्र में डेढ़ गुना विस्तार करने के साथ ही आदिवासी किसान 50 प्रतिशत तक इन फसलों की बुवाई करें। इसके लिये कृषि और ग्रामीण विकास विभाग निजी क्षेत्रों के सहयोग से सुनियोजित रणनीति तैयार की जा रही है। सरकार का अनुमान है कि इस योजना से किसानों की आय में 20 से 25 प्रतिशत का इजाफा कर सकेंगे। इस मिशन में ग्रामीण विकास विभाग के आजीविका मिशन, निजी क्षेत्र के एनजीओ, समितियों और फार्मर प्रोड्यूस कंपनियों का सहयोग लोए जाएगा। मिलेट मिशन के अंतर्गत आने वाली फसलों के प्रमाणित बीजों के अनुसंधान पर भी काम किया जा रहा है।

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