पर्यावरण मुकदमों की साप्ताहिक डायरी: पर्यावरण की बहाली के लिए कार्य योजना तैयार करें सभी राज्य: एनजीटी

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Dayanidhi, Lalit Maurya

On: Saturday 01 August 2020
 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सभी राज्यों में पर्यावरण की बहाली के लिए कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया है। एनजीटी द्वारा यह आदेश सभी राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और प्रदूषण नियंत्रण समितियों के लिए जारी किया गया है। उन्हें सीपीसीबी के साथ मिलकर पर्यावरण की बहाली और जिला स्तर पर पर्यावरण योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही सीपीसीबी को उपलब्ध धन के उपयोग के लिए एक योजना तैयार करने का भी निर्देश दिया गया है। 

एनजीटी द्वारा यह आदेश 24 जुलाई, 2020 को जारी किया गया था। मामला उत्तरप्रदेश के बांदा, महोबा और चित्रकूट जिले में मैरिज हॉल, नर्सिंग होम, क्लीनिक, अस्पताल, वाणिज्यिक परिसरों, होटलों और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के अवैध संचालन से जुड़ा था। यह सभी उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) की बिना सहमति से चल रहे थे। 

इससे पहले एनजीटी ने 15 जुलाई, 2019 के अपने पिछले आदेश में कहा था कि यूपीपीसीबी ने अपनी जिम्मेदारी ठीक से न निभा पाने के लिए कर्मचारियों की कमी को कारण बताया था। इस वजह से वो अपनी क़ानूनी जिम्मेदारी को पूरा नहीं कर पाए थे। इस बाबत उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को स्थिति की समीक्षा करने और उसपर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था।

24 जुलाई को जब यह मामला फिर से एनजीटी के समक्ष आया तो यह देखा गया कि मुख्य सचिव ने अब तक रिपोर्ट दर्ज नहीं की है। साथ ही यूपीपीसीबी ने जो रिपोर्ट सबमिट की है, उसमें भी खामियां हैं। राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जो रिपोर्ट पेश की है, उसमें पर्यावरण की बहाली के लिए मिले फंड को प्रदूषण नियंत्रण कक्षों की स्थापना पर खर्च करने का प्रस्ताव रखा है। कोर्ट ने पूछा है कि क्या यह एक तरह का पूंजी निवेश है।

कोर्ट के आदेशानुसार पर्यावरण की बहाली के लिए मिला फंड पर्यावरण को फिर से पुरानी स्थिति में लाने के लिए था। इसके अंतर्गत पर्यावरण के सतर्कता तंत्र को मजबूत करना और उसकी निगरानी के लिए प्रयोगशालाओं को स्थापित करना शामिल था। इसके साथ जिला मजिस्ट्रेटों के साथ मिलकर जिला स्तर पर पर्यावरण सम्बन्धी योजनाएं तैयार करना शामिल था। साथ ही बहाली के लिए विशेषज्ञों और सलाहकारों की मदद लेना और प्रदूषित स्थानों का अध्ययन और उसको प्रदूषण मुक्त करना शामिल था। 

कोर्ट ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को आदेश दिया है कि वो सीपीसीबी की मदद से अपनी कार्ययोजना पर दोबारा विचार करें और दो महीनों के अंदर सीपीसीबी की मंजूरी के बाद अपनी योजना को अंतिम रूप दें। 


रोहतांग पास में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन का हुआ सफल परीक्षण

रोहतांग क्षेत्र में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के सफल परीक्षण के बाद हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एचआरटीसी) ने 25 इलेक्ट्रिक बसें खरीदी हैं। इलेक्ट्रिक बसों के सुचारू संचालन के लिए मनाली में सात, कुल्लू में चार और मंडी में चार चार्जिंग प्वाइंट लगाए गए हैं। वर्ष 2019-2020 के दौरान शिमला में और इसके आसपास प्रदूषण को कम करने और हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण के अनुकूल सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए 50 और इलेक्ट्रिक बसें खरीदी गईं। 2020-2021 में एचआरटीसी का 100 और इलेक्ट्रिक बसें खरीदने का इरादा है।

ये मनाली और रोहतांग पास के क्षेत्र में पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, हिमाचल प्रदेश के सचिव की रिपोर्ट में उल्लिखित कुछ उपाय थे, जिन्हें लागू किया गया है।

रिपोर्ट में एनजीटी के आदेश ओ.ए. 389/18 के अनुपालन हेतु अलग-अलग विभागों द्वारा उठाए गए कदमों और स्थिति के बारे में बताया गया है।

वन संरक्षक, कुल्लू ने कहा कि वन मंजूरी के पहले चरण में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा मनाली रोपवे प्राइवेट लिमिटेड को 8.98 हेक्टेयर वन भूमि पलचान-रोहतांग रोपवे परियोजना निर्माण के लिए दी है।

परियोजना के लिए प्रस्तावित वर्तमान मूल्य (एनपीवी) के आधार पर अनुपूरक वनीकरण (कम्पेन्सेटरी एफोरेस्टशन) राशि 1,13,36,324 रुपए और साथ ही पेड़ों की लागत और वन विभाग का विभागीय शुल्क 1,16,35,274 रुपए जमा किया गया। द्वितीय चरण की अनुमति के लिए आवेदन हिमाचल प्रदेश के नोडल ऑफिसर द्वारा (फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट के तहत) 18 जनवरी, 2020 को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भेजा गया था। मरही में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का निर्माण और मनाली में एसटीपी के अपग्रेडेशन पर काम शुरू कर दिया है।


जांच समिति की रिपोर्ट में आया सामने, खुले में जलाया जा रहा था वापी में औद्योगिक कचरा

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और गुजरात प्रदूषण नियंत्रण (जीपीसीबी) बोर्ड की संयुक्त जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट एनजीटी में जमा कर दी है। इसमें जानकारी दी गई है कि सीपीसीबी और जीपीसीबी के अधिकारियों ने वापी में गुजरात औद्योगिक विकास निगम की चार पेपर मिलों का निरीक्षण किया था और वहां किस तरह से कचरे का निपटारा किया जाता है, इस बात की जानकरी ली थी। इसके साथ ही उन्होंने 13-15 नवंबर, 2019 के बीच उस क्षेत्र के आसपास भूजल की भी निगरानी और जांच की थी। इस जांच में शिकायतकर्ता यूनुस दाउद शेख ने भी 13 नवंबर, 2019 को रात के समय जीआईडीसी, वापी और आसपास के क्षेत्रों का सर्वेक्षण भी किया था। 

गौरतलब है कि कोर्ट को जानकारी दी गई थी कि वापी में रात के समय पेपर मिलों से निकले कचरा और स्क्रैप को जलाया जा रहा था, जिससे वायु प्रदूषित हो रही थी। इसके साथ ही वहां का भूजल भी केमिकल के कारण दूषित हो रहा है। इस कारण नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने रात के समय इसकी जांच के आदेश दिए थे। 

इन पेपर मिलों को पेपर बोर्ड/ क्राफ्ट पेपर जैसे उत्पादों के लिए डिंकिंग प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं होती। इनसे बहुत ही कम मात्रा में प्लास्टिक वेस्ट और ईटीपी स्लज उत्पन्न होता है। इसके निपटान के लिए पहले ही सीमेंट मिलों के साथ समझौता किया हुआ था। यह सीमेंट मिलें ईटीपी स्लज को वापस काम लायक सामान में बदल देती हैं। रिपोर्ट में इस बात की भी जानकारी दी गई है कि जांच के समय इन यूनिट्स के परिसर में कोई ईटीपी स्लज जमा नहीं पाया गया।  

हालांकि रिपोर्ट के अनुसार वहां रात के समय तीन अलग-अलग स्थानों पर बड़ी मात्रा में कचरे को अंधाधुंध जलते हुए देखा गया था| टीम ने जब अगली सुबह उस क्षेत्र का दौरा किया तो पता चला कि उस जगह पर विभिन्न प्रकार का औद्योगिक अपशिष्ट जैसे लाइनर, ड्रम, प्लास्टिक बैग, केबल आदि बिखरे हुए थे। इसके साथ ही वहां वाणिज्यिक क्षेत्र से निकले कचरे को भी उस क्षेत्र में फेंक दिया गया था। जांच टीम ने यह भी जानकारी दी है कि यह क्षेत्र आबादी से घिरा हुआ है। 


कूड़ा डालने से खोह नदी में हो रहे प्रदूषण पर एनजीटी ने किया आगाह

न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और एनजीटी के सोनम फेंटसो वांग्दी की दो सदस्यीय पीठ ने 28 जुलाई को ग्राम रतनपुर, काशीरामपुर, गाडीघाट में खोह नदी के पास और स्पोर्ट्स स्टेडियम, कोटद्वार, उत्तराखंड के पास, कूड़ा निपटान डंप यार्ड पर किए गए कार्य पर नाराजगी व्यक्त की है।

डंप यार्ड अवैध रूप से स्थापित किए गए थे और वहां कचरा जलाया जा रहा था जो नदी के पानी को प्रदूषित कर रहा था।

नाराजगी का कारण उत्तराखंड राज्य की ओर से 21 मई को सौंपी गई रिपोर्ट थी, जिसमें कहा गया था कि कुछ अंतरिम उपायों को अपनाया गया है और आगे की कार्रवाई की जा रही है। एनजीटी ने प्रगति को अपर्याप्त पाया और आगाह किया कि इससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, जो एक दंडात्मक अपराध है।


सिंगरौली में फ्लाई ऐश तालाब ढहने पर इंसानी जीवन और पर्यावरण को पहुंचा है भारी नुकसान: रिपोर्ट

29 जून, 2020 के एनजीटी के आदेश पर समिति ने अपनी कार्रवाई रिपोर्ट कोर्ट में जमा करा दी है। मामला 10 अप्रैल, 2020 को मध्य प्रदेश के सिंगरौली में रिलायंस के मेसर्स सासन अल्ट्रा थर्मल पावर प्लांट द्वारा निर्मित फ्लाई ऐश तालाब के ढहने से जुड़ा है। रिपोर्ट को 28 जुलाई, 2020 में एनजीटी के समक्ष प्रस्तुत कर दिया गया है।

गौरतलब है कि इस घटना के कारण हर्रहा गांव में जहरीली राख युक्त पानी भर गया था। इस हादसे में आसपास के गांवों के 6 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के कारण न केवल मानव और पशुओं के जीवन को नुकसान पहुंचा है, बल्कि पर्यावरण पर भी गंभीर असर पड़ा है। इससे आसपास की वनस्पति, जैव विविधता और उपजाऊ कृषि भूमि पर भी असर पड़ा है। साथ ही आसपास के नालों का जल भी दूषित हो गया है।


दिल्ली में स्मॉग टावर लगाने के समझौते से पीछे हटा बॉम्बे आईआईटी, कोर्ट ने चेताया

सुप्रीम कोर्ट (एससी) ने 29 जुलाई, 2020 को आईआईटी-बॉम्बे को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि शीर्ष अदालत के आदेशों का उल्लंघन करने पर संस्थान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मामला दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए स्मॉग टावरों को लगाने का है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि आईआईटी-बॉम्बे अब अपने समझौते से पीछे हट रही है। यही वजह है कि वो स्मॉग टावर स्थापित करने के लिए आईआईटी बॉम्बे के साथ कोई भी समझौता नहीं कर पा रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने इसे आदेश का उल्लंघन बताया है और कहा है कि संस्थान जानबूझकर काम को धीमा कर रहा है जिससे समय बर्बाद हो रहा है। साथ ही कोर्ट ने आईआईटी-बॉम्बे को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि वो ऐसा करता है तो उसके खिलाफ और इससे जुड़े लोगों पर भी कार्रवाई की जाएगी। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आदेश जारी होने के बाद उस पर अमल करना होगा और यदि ऐसा नहीं किया जाता तो आदेश का उल्लंघन होगा। कोर्ट ने यह भी कहा है कि आईआईटी-बॉम्बे जैसे संस्थान से इस तरह के रवैये की उम्मीद नहीं की जाती। खासकर मामला जब जनहित से जोड़ा हो। कोर्ट ने निर्देश दिया कि आदेश का अनुपालन किया जाए। इस मामले की अगली सुनवाई 30 जुलाई, 2020 को की जाएगी।

Subscribe to our daily hindi newsletter