उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में अवैध रेत खनन कारोबार की होगी जांच

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Thursday 09 February 2023
 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के मुख्य सचिवों को एक माह के भीतर अवैध रेत खनन की स्थिति का जायजा लेने का निर्देश दिया है। साथ ही मध्य प्रदेश में भिंड, मुरैना और ग्वालियर, उत्तर प्रदेश में आगरा, इटावा एवं झांसी और राजस्थान में धौलपुर और भरतपुर के पुलिस अधीक्षकों और जिलाधिकारियों को इस विषय पर निगरानी करने के लिए कहा गया है।

अदालत का कहना है कि इस मामले में जिला स्तर पर निगरानी के अलावा राज्य स्तर पर भी निगरानी की आवश्यकता है। एनजीटी ने अपने आदेश में 31 मार्च, 2023 तक तीनों राज्यों द्वारा कार्रवाई रिपोर्ट दर्ज करने को कहा है। 

गौरतलब है कि एनजीटी के चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल, जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस अरुण कुमार त्यागी की बेंच का कहना है कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश स्थिति को संभालने के लिए गंभीरता से लेने में नाकाम रहे हैं। वहीं दायर हलफनामे और ट्रिब्यूनल के सामने मौजूद अधिकारियों से की गई बातचीत से पता चला है कि इस बारे में कोई गंभीर योजना तैयार नहीं की गई है।

वहीं धौलपुर कलेक्टर की रिपोर्ट से पता चला है कि 1 जनवरी, 2023 को एसीएस खनन, राजस्थान ने अन्य अधिकारियों के साथ साइट का दौरा किया था, जिसमें देखा गया कि खनन सामग्री से भरे 40 से 50 ट्रैक्टर मध्य प्रदेश के मुरैना से चंबल नदी की ओर आ रहे थे। वे स्वतंत्र रूप से घूम रहे थे और कानून की परवाह किए बिना अवैध रूप से खनन सामग्री का परिवहन कर रहे थे।

6 फरवरी, 2023 के एनजीटी के आदेश में कहा गया है कि इन राज्यों में बड़े पैमाने पर कानून का उल्लंघन हो रहा है। पिछले एक साल में राजस्थान में 12 और मध्यप्रदेश में 4 लोगों को अवैध खनन के मामले में गिरफ्तार किया गया है। इतना ही नहीं एमपी में 40 वाहनों को भी जब्त किया गया और उल्लंघन करने वालों से 97 लाख रुपए का जुर्माना वसूला गया था।

60 फीसदी से ज्यादा पूरा हो चुका है लुधियाना में सिधवां नहर की सफाई का काम: समिति रिपोर्ट

संयुक्त समिति द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में सबमिट रिपोर्ट में कहा है कि लुधियाना में सिधवां नहर की सफाई का काम 60 फीसदी से ज्यादा पूरा हो चुका है। गौरतलब है कि समिति द्वारा यह रिपोर्ट 25 नवंबर, 2022 को एनजीटी द्वारा दिए आदेश के अनुपालन में थी।

समिति के सदस्यों ने 18 जनवरी, 2023 को सिधवां नहर का दौरा किया था और पाया कि सिधवां नहर में पूजा सामग्री, बिस्तर, कपड़े, प्लास्टिक की थैलियां और अन्य सामान प्रमुख प्रदूषक हैं, जो लोगो द्वारा नहर में फेंके जाते हैं।

वहीं निरीक्षण के दौरान सिधवां नहर से ठोस कचरा हटाने का कार्य प्रगति पर था। सिधवां नहर डिवीजन के जल संसाधन विभाग और लुधियाना नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि नहर बंद करने के दौरान 4 जनवरी 2023 से सफाई का काम शुरू किया गया था।

संयुक्त समिति ने 20 जनवरी, 2023 को फिर से इस साइट का दौरा किया और पाया कि साइट पर सफाई का काम चल रहा था और 60 फीसदी से ज्यादा काम पूरा हो चुका था। रिपोर्ट में कहा गया है कि, "लुधियाना शहर के भीतर सिधवां नहर के किनारे कोई म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट नहीं पड़ा था।

हालांकि सिधवां के दाहिने किनारे के पास गिल पुल के नीचे की ओर एक सेकेंडरी सॉलिड वेस्ट कलेक्शन पॉइंट था, हालांकि उससे यह कचरा जमालपुर में डंप साइट को भेजा जा रहा था। इसके अलावा लुधियाना नगर निगम ने सूचित किया है कि पंजाब मंडी बोर्ड की खाली पड़ी भूमि पर उपरोक्त सेकेंडरी सॉलिड वेस्ट कलेक्शन पॉइंट को स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है और सिधवां नहर के हिस्से में एक हरित पट्टी विकसित की जाएगी। वहीं शहर की सीमा में सिधवां नहर के किनारे किसी भी निजी संस्था द्वारा कोई अतिक्रमण नहीं पाया गया।

एनजीटी ने झील की सुरक्षा के लिए कलकत्ता बोटिंग एंड होटल रिसॉर्ट्स को दिए निर्देश

एनजीटी की पूर्वी क्षेत्र खंडपीठ ने 7 फरवरी, 2023 को दिए अपने आदेश में कहा है कि कलकत्ता बोटिंग एंड होटल रिसॉर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड को अपनी गतिविधियों के साथ कोलकाता की साइंस सिटी के पश्चिमी हिस्से में मौजूद एक जल निकाय की सुरक्षा के लिए जरूरी  सर्वश्रेष्ठ प्रणालियों पालन करना चाहिए।

गौरतलब है कि कोलकाता नगर निगम (केएमसी) ने परियोजना प्रस्तावक कलकत्ता बोटिंग एंड होटल रिसॉर्ट्स को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए इस जल निकाय के हिस्से के उपयोग का लाइसेंस दिया था। एनजीटी ने कहा है कि संयुक्त समिति की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जो सहमति दी है उसमें सभी सावधानियां बरतने की जरूरत है।

इस मामले में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सही तरीके से निगरानी रखनी चाहिए और परियोजना प्रस्तावक को जल स्रोत की सुरक्षा के लिए आवश्यक सर्वोत्तम प्रथाओं का पालन करना चाहिए। इसकी निगरानी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और कोलकाता नगर निगम (केएमसी) द्वारा की जाएगी। ट्रिब्यूनल का सुझाव है कि इसका एक उपाय सौर पैनलों द्वारा चलने वाला फ्लोटिंग वाटर मिक्सिंग डिवाइस हो सकता है, जो झील में ऑक्सीजन के स्तर में वृद्धि करने में मददगार हो सकता है।

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