दिल्ली में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स को प्रभावित कर रहे हैं हरियाणा के दूषित नाले, एनजीटी ने मांगी रिपोर्ट

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Thursday 03 August 2023
 

शिकायत मिली है कि हरियाणा के प्रदूषित नाले, दिल्ली में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स को प्रभावित कर रहें हैं। ऐसे में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने संयुक्त समिति को मामले की जांच का निर्देश दिया है। एनजीटी ने अपने दो अगस्त, 2023 को दिए आदेश में कहा है कि समिति साइट का दौरा और स्थिति की पुष्टि करने के बाद एक रिपोर्ट कोर्ट में सौंपेगी।

मामले में कोर्ट ने मुख्य सचिव, प्रमुख अभियंता, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जिला मजिस्ट्रेट, सोनीपत के जरिए हरियाणा और दिल्ली जल बोर्ड से भी जवाब मांगा है।

याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया था कि वो ड्रेन नंबर छह की ड्रेजिंग का आदेश दे। यह नाला सोनीपत से बरोटा होते हुए हरियाणा के पियाउ मनियारी/कुंडली होते हुए दिल्ली में मिलता है।

याचिकाकर्ता ने यह भी जानकारी दी है कि सोनीपत/कुंडली में नाला संख्या छह और आठ समानांतर चलते हैं। हालाँकि, ड्रेन नं. छह, जिसका रख-रखाव हरियाणा सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग द्वारा किया जाता है, गंभीर स्थिति में है। वो नाला कूड़े, कचरे, गाद और कीचड़ से भरा हुआ है। खराब रखरखाव के कारण इसकी स्थिति बेहद गंभीर है।

हालांकि ड्रेन नंबर आठ में बह रहा पानी तुलनात्मक रूप से स्वच्छ है जो आगे जाकर यमुना में मिल जाता है। यह भी पता चला है कि जब नाला संख्या छह ओवरफ्लो होता है तो ड्रेन नंबर आठ को भी दूषित कर देता है। आवेदक का कहना है कि यदि ऐसा ही चलता रहा तो बढ़ते प्रदूषण के कारण दिल्ली में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बंद करने पड़ेंगें।

लुधियाना के उम्मेदपुर में हवा को जहरीला बना रही है ग्लोबल रिफाइनरी, समिति करेगी मामले की जांच

लुधियाना के उम्मेदपुर में वायु प्रदूषण करने वाले उद्योग ग्लोबल रिफाइनरी के खिलाफ दायर आवेदन पर कार्रवाई करते हुए एनजीटी ने एक संयुक्त समिति को मामले की जांच करने का निर्देश दिया है।

समिति को हानिकारक अपशिष्ट (प्रबंधन और पारगमन गतिविधि) नियम, 2016 के नियम 9 के प्रावधानों के तहत मौजूदा स्थिति और नियमों का पालन किया जा रहा है या इसकी जांच का आदेश दिया गया है। साथ ही कोर्ट ने यह भी सत्यापित करने के लिए कहा है कि क्या रिफाइनरी ने इसे स्थापित करने और संचालन के लिए सहमति ली थी। 

साथ ही कोर्ट ने समिति से यह भी सत्यापित करने के लिए कहा है कि क्या रिफाइनरी अधिकृत जल स्रोतों का उपयोग कर रही है। यदि इन सबमें कोई समस्या पाई जाती है, तो समिति कानूनी दायरे में रहते हुए बहाली के लिए आवश्यक कार्रवाई करेगी। इससे परियोजना प्रस्तावक को अपना पक्ष रखने का भी मौका मिलेगा।

तीन अगस्त 2023 को दिए आदेश में कोर्ट न कहा है कि, इस मामले में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) और जिला मजिस्ट्रेट (डीएम), लुधियाना समिति का हिस्सा होंगे और एचएसपीसीबी इसके लिए नोडल एजेंसी होंगें।

आवेदक का कहना है कि ग्लोबल रिफाइनरी, जोकि एक तेल रिफाइनिंग कंपनी है। वो अपनी भट्ठी के लिए प्रदूषण फैलाने वाली सामग्री या ईंधन का उपयोग कर रही है। इतना ही नहीं वो उपयोग के बाद जले हुए ईंधन की राख आसपास के क्षेत्रों में छोड़ देती है। इसके अलावा रिफाइनरी बिना उचित सहमति के बड़ी मात्रा में भूजल का दोहन कर रही है। आवेदक ने इस मामले में पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से शिकायत की थी, लेकिन उसपर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। 

उच्च न्यायालय ने नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन को क्षतिग्रस्त फसलों की एवज में प्रति एकड़ 40,000 के भुगतान का दिया निर्देश

मद्रास उच्च न्यायालय ने नेवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन को निर्देश दिया है कि वो उन किसानों को 40,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दे, जिनकी खड़ी फसलें परवनार नहर के डायवर्जन से जुड़ी गतिविधियों के चलते क्षतिग्रस्त हो गई थी। मामला तमिलनाडु में कुड्डालोर के वलयामादेवी का है।

इस बारे में कुड्डालोर जिला कलेक्टर ने जवाबी हलफनामा में कहा है कि नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन को 264 हेक्टेयर अधिग्रहित भूमि में खड़ी फसलों को छेड़ने की अनुमति मिलनी चाहिए। हालांकि इन फसलों के लिए 2006 से 2013 के बीच मुआवजा दिया गया था। लेकिन कोई भी कार्रवाई करने से पहले फसलों को काटने की अनुमति दी जानी चाहिए।

हालांकि फसलों को काटने के बाद, किसानों को अधिग्रहीत भूमि नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन को सौंपनी होगी। हलफनामें में कहा गया है कि किसानों और भूस्वामियों को भी कानूनी पचड़ों से बचने के लिए 15 सितंबर, 2023 या उससे पहले जमीन नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन को सौंप दी जानी चाहिए। उच्च न्यायालय ने भी किसानों को निर्देश दिया कि वे 15 सितंबर, 2023 या उससे पहले मौजूदा फसलों की कटाई के बाद अधिग्रहीत भूमि पर और कोई खेती से जुड़ी गतिविधियां न करें।

इस मामले में कोर्ट ने अपने दो अगस्त 2023 को दिए निर्देश में कहा है कि इस जमीन पर आगे कोई खेती नहीं होने चाहिए यदि ऐसा पाया जाता है तो नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन क़ानूनी तरीके से अधिग्रहित भूमि की रक्षा करने का हकदार है।

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