इसरो रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट से बढ़े हुए वेट लैंड की सुरक्षा की गुहार लगाई

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Tuesday 11 July 2023
 

इसरो द्वारा तैयार "भारतीय वेटलैंड एटलस 2021" से पता चला है कि भारत में वेटलैंड का क्षेत्रफल 2.01 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 2.31 लाख हेक्टेयर हो गया है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह प्रस्तुत किया गया है कि 8 फरवरी, 2017 और 4 अक्टूबर, 2017 को अदालत के पिछले आदेशों द्वारा जो सुरक्षा दी गई थी, उसे इस बढे हुए क्षेत्र पर भी लागू किया जाना चाहिए।

इस मामले की जांच के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से कुछ समय देने का अनुरोध किया है। उनके इस अनुरोध को कोर्ट ने मंजूर कर लिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 21 जुलाई, 2023 को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने गोवा में तिराकोल ब्रिज पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई, 2023 को अगले आदेश तक तिराकोल नदी पुल के निर्माण पर रोक लगा दी है। मामला गोवा का है। गौरतलब है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने जनवरी 2022 में गोवा फाउंडेशन द्वारा दायर आवेदन का निपटारा कर दिया था, जिससे क्वेरिम तट पर तिराकोल ब्रिज के निर्माण का रास्ता साफ हो गया था।

गौरतलब है कि गोवा फाउंडेशन ने क्वेरिम तट पर आंशिक रूप से बनाए जा रहे तिराकोल ब्रिज के निर्माण को इस आधार पर चुनौती दी थी कि यह सीआरजेड अधिसूचना का उल्लंघन है। इसके लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ और सीसी) के साथ-साथ राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) से मंजूरी लेना आवश्यक है।

उच्च न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश को स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के प्रावधानों का पालन करने का दिया निर्देश

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने नगर निगम को शिमला में एक 'टाउन वेंडिंग कमेटी' के गठन का निर्देश दिया है। कोर्ट के अनुसार इस समिति का गठन स्ट्रीट वेंडर्स अधिनियम, 2014 की धारा 22 के अनुसार किया जाना चाहिए।

इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को भी इस एक्ट की धारा 20 के तहत तुरंत एक 'विवाद निवारण तंत्र' स्थापित करने के लिए कहा है। बेंच का कहना है कि टाउन वेंडिंग कमेटी का उचित गठन किए बिना, यह स्पष्ट नहीं है कि अधिनियम की धारा 18(1) के तहत किसी क्षेत्र को 'नो वेंडिंग जोन' कैसे घोषित किया जा सकता है।

इस मामले में मुख्य न्यायाधीश एम एस रामचन्द्र राव और न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की बेंच ने सुनवाई की थी। गौरतलब है कि कोर्ट का यह आदेश 21 जनवरी, 2023 को लोअर बाजार क्षेत्र में स्ट्रीट वेंडरों को हटाने के मद्देनजर आया है।

हिमालयी राज्यों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से 4 हफ्तों में मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय हिमालयी क्षेत्र में मौजूद 13 राज्यों की न तो धारणीय क्षमता के मामले में सुनवाई करते हुए केंद्र से चार हफ्तों में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। अब इस मामले की सुनवाई 21 अगस्त 2023 को होगी।

सुप्रीम कोर्ट में पूर्व आईपीएस अधिकारी डॉक्टर अशोक कुमार राघव की ओर से एडवोकेट आकाश वशिष्ठ ने जोशीमठ आपदा संकट के बाद फरवरी महीने में याचिका दाखिल की थी। याचिका में आरोप है कि भारतीय हिमालयी क्षेत्र में मौजूद 13 राज्यों की न तो धारणीय क्षमता का अध्ययन किया गया है और न ही इन नाजुक पर्यावरण वाले राज्यों में पर्यटन जैसी गतिविधियों के नियंत्रण का कोई प्रयास हुआ है। वहीं, इन सबके बीच हिमालयी क्षेत्र में एक बड़े भूकंप का अंदेशा भी शोध संस्थानों के जरिए जताया जा रहा है।

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