बिहार में नदियों को बचाने के लिए 30 सीवेज परियोजनाओं को दी गई मंजूरी

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Thursday 25 June 2020
 

गंगा नदी संरक्षण और कार्यक्रम प्रबंधन सोसायटी, बिहार ने राज्य में चल रहे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के बारे में स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की है| यह रिपोर्ट एम सी मेहता बनाम भारत सरकार के मामले में एनजीटी द्वारा 12 दिसंबर 2019 को दिए आदेश पर जारी की गई है| बिहार में गंगा, पुनपुन, रामरेखा, सिकरहना, परमार, सिरसिया, सोन, कोसी, बुरही, गंडक, बागमती, महानंदा और किउल आदि नदियां बहती हैं| जिनको प्रदूषण से बचाने के लिए इन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर काम चल रहा है|

रिपोर्ट के अनुसार राज्य में कुल 30 सीवेज इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है| जिनपर करीब 5328.61 करोड़ रुपए की लागत आएगी| जोकि निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं| इनमें से 11 परियोजनाएं पटना के लिए हैं| जबकि बेगूसराय, मुंगेर, हाजीपुर, मोकामा, सुल्तानगंज, नौगछिया, बरह, भागलपुर, सोनपुर, छपरा, खगड़िया, बख्तियारपुर, मनेर, फतुहा, दानापुर, फुलवारीशरीफ, बक्सर, बरहिया और कहलगांव आदि शहरों में हैं।

इन परियोजनाओं के जरिये करीब 651.5 एमएलडी सीवेज का उपचार किया जाएगा| इस परियोजना के अंतर्गत एसटीपी का निर्माण और सुधार, सीवरेज नेटवर्क और उससे सम्बंधित इंटरसेप्शन और डायवर्जन कार्यों को भी पूरा किया जाएगा| रिपोर्ट के अनुसार इसके साथ ही दानापुर कैंट और राजापुर नाले के सीवेज के यथास्थिति ट्रीटमेंट के लिए 2 प्रोजेक्ट्स को मंजूर दी गई है| जिसके लिए 3.16 करोड़ रुपए मंजूर किये गए हैं|


चुर्क, उत्तरप्रदेश में जेपी सीमेंट फैक्ट्री के कारण हो रहा है प्रदूषण

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) द्वारा जेपी सीमेंट फैक्ट्री द्वारा किये जा रहे प्रदूषण के संबंध में रिपोर्ट जारी की गई है| प्रदूषण के लिए जिम्मेवार यह सीमेंट फैक्ट्री और उससे जुड़ा पावर प्लांट सोनभद्र जिले के चुर्क में स्थित है| रिपोर्ट के अनुसार कोयले और सीमेंट डस्ट के उत्सर्जन के कारण प्रदूषण फैल रहा है| यूपीपीसीबी ने एनजीटी को जानकारी दी है कि इस फैक्ट्री में पहले और दूसरे कोल्  क्रशर को ढंका नहीं गया था| न ही जहां से सामग्री को ट्रासंफर क्या जाता है उसको ढंका गया था| इसके अलावा जांच के समय कोयला/ क्लिंकर कन्वेयर बेल्ट और ट्रांसफर पॉइंट आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त पाए गए थे।

रिपोर्ट के अनुसार जिन रेलवे वैगन द्वारा कोयला ले जाया जा रहा था, उनके  वैगन टिपलर और ट्रक अनलोडिंग प्वाइंट पूरी तरह से कवर नहीं थे। हालांकि जहां कोयले की अनलोडिंग होती है वहां पानी के छिड़काव की व्यवस्था की गई थी| पर निरीक्षण के समय वह भी चालू हालत में नहीं थी| इसके अलावा यूनिट ने कोयले और क्लिंकर के अनलोडिंग टिपलर यार्ड पर उचित वायु प्रदूषण नियंत्रण प्रणाली को भी स्थापित नहीं किया था।

निरीक्षण के बाद, संयुक्त जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि इस यूनिट को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत निर्धारित मानकों का कड़ाई से पालन करना चाहिए| जोकि अभी नहीं किया जा रहा है| इसे नियमों के तहत उत्सर्जन को रोकने और वायु गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए निर्धारित मानकों को पूरा करना होगा| इसके साथ ही जो प्रदूषण किया गया है उसकी रोकथाम के लिए स्रोत पर ही उसके उपचार के लिए त्वरंत कार्रवाही करनी चाहिए|  

इस इकाई को सभी कन्वेयर बेल्ट के साथ कोयला हैंडलिंग प्लांट और क्लिंकर स्टैकिंग सिस्टम के सभी ट्रासंफर पॉइंट को ठीक तरह  से ढंकना चाहिए| साथ ही पर्याप्त वायु प्रदूषण नियंत्रण प्रणाली की स्थापना के बाद ही इस प्लांट में कोयले और क्लिंकर को उतारना शुरू किया जाना चाहिए। जिससे प्रदूषण को रोका जा सके| 


डेयरी फार्मों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करे आगरा जिला मजिस्ट्रेट: एनजीटी

एनजीटी ने 25 जून 2020 को डेयरी फार्मों द्वारा ग्रीन बेल्ट पर किये जा रहे अतिक्रमण के मामले में एक आदेश जारी किया है| इस आदेश के अनुसार आगरा के जिला मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया गया है कि वो राम जी धाम और ऋषिपुरम कॉलोनी और उसके आसपास के क्षेत्रों में डेयरी फार्मों द्वारा ग्रीन बेल्ट पर किये जा रहे अतिक्रमण पर रिपोर्ट दर्ज करे|

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