पर्यावरण मुकदमों की डायरी: एक महीने में डेरी-गौशालाओं के लिए जारी हों गाइडलाइंस

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Lalit Maurya, Susan Chacko

On: Thursday 21 May 2020
 

20 मई, 2020 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के लिए एक निर्देश जारी किया है| जिसके अनुसार उसे एक महीने के अंदर डेयरी फार्म और गौशालाओं के पर्यावरण प्रबंधन सम्बन्धी दिशानिर्देशों को अंतिम रूप देना है। साथ ही उन्हें लागू भी करना है। इसका पालन हो रहा है या नहीं इस बात की निगरानी भी सीपीसीबी के द्वारा की जाएगी| साथ ही इसके बारे में हर छह महीने के अंदर एक बार ऑडिट भी करनी होगी।

इन प्रस्तावित दिशानिर्देशों में डेयरी फार्म और गौशालाओं के लिए ठोस कचरे और अपशिष्ट जल के प्रबंध के साथ ही वायु गुणवत्ता और पशुओं के बैठने सम्बन्धी नीतियों पर ध्यान देना जरुरी होगा।

गौरतलब है कि सीपीसीबी ने विशेषज्ञों की सिफारिश पर 12 मई, 2020 को इस मामले पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। इसके आलावा सीपीसीबी ने  डेयरी फार्मों और गौशालाओं की संख्या के सम्बन्ध में भी जानकारी दी थी| जिसके अनुसार मणिपुर और दिल्ली को छोड़कर 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से प्रतिक्रिया मिल चुकी है। जिनमें से 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने जानकारी दे दी है, जबकि 6 राज्य उस विषय में जल्द ही जानकारी दे देंगे।

इस जानकारी के अनुसार 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 2,73,437 डेयरियां चल रही हैं। जिनमें कुल जानवरों की संख्या 21,34,018 है। इसके साथ ही सीपीसीबी ने कोर्ट को जानकारी दी है कि इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 2793 डेयरी कॉलोनियां और समूह हैं।

सीपीसीबी ने इस सन्दर्भ में निम्नलिखित सिफारिशें की हैं:

  • सभी स्थानीय अधिकारियों/ निगमों को अपने अधिकार क्षेत्र में स्थित सभी डेयरी फार्मों और गौशालाओं की सूची जारी करनी होगी। जिसे उन्हें हर साल सम्बंधित एसपीसीबी/ पीसीसी के साथ साझा करना होगा|
  • सभी डेयरी फार्म और गौशालाओं को स्थानीय निकायों और निगमों में ऑनलाइन मोड के जरिये पंजीकृत करना होगा|
  • जिन डेयरी फार्म में 10 या उससे ज्यादा जानवर हैं उन्हें और गौशालाओं को संबंधित एसपीसीबी और पीसीसी से जल अधिनियम, 1974 और वायु अधिनियम, 1981 के तहत स्थापित और काम करने के लिए सहमति प्राप्त करनी होगी|
  • राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में स्थानीय निकायों/ राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड/ प्रदूषण नियंत्रण समितियों और ग्राम पंचायत को यह सुनिश्चित करना होगा कि डेयरी और गौशालाओं का संचालन इनसे जुड़े पर्यावरण प्रबंधन सम्बन्धी दिशानिर्देशों के अनुरूप किया जा रहा है|

दिल्ली में कचरे और सीवेज की अवैध डंपिंग की याचिका खारिज

20 मई को एनजीटी की दो सदस्यीय बेंच जिसमें जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और श्यो कुमार सिंह शामिल थे, ने विकास नगर रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा दायर आवेदन को खारिज कर दिया है।

गौरतलब है कि एसोसिएशन ने नजफगढ़ ड्रेन, हस्ताल, नई दिल्ली के पास सिंचाई और बाढ़ विभाग की भूमि पर वाहनों के साथ-साथ फेरीवालों द्वारा कचरे और सीवेज की अवैध डंपिंग के सम्बन्ध में मामला कोर्ट के सामने रखा था। जिसमें पर्यावरण मानदंडों के उल्लंघन की बात कही गई थी। इसके साथ ही नियमित रूप कचरे के जलाये जाने की भी शिकायत की गई थी, जिसमें प्लास्टिक और हानिकारक वेस्ट शामिल थे।

यह मामला दक्षिण दिल्ली नगर निगम, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति, दिल्ली जल बोर्ड और उप मंडल मजिस्ट्रेट, द्वारका के सम्बन्ध में था| जिसके विषय में उन्होंने न्यायाधिकरण को सूचित कर दिया है कि वो इस विषय पर जरुरी कार्यवाही कर रहे हैं|


मेरठ अतिक्रमण मामला: प्राधिकरण को नई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश

एनजीटी ने मेरठ विकास प्राधिकरण की अतिक्रमण से जुडी रिपोर्ट पर असंतोष व्यक्त किया है| गौरतलब है कि मेरठ विकास प्राधिकरण ने गांव रामपुर पावती और शोभापुर, मेरठ, उत्तर प्रदेश में स्टेडियम, पार्क और खुली जगह के लिए आरक्षित भूमि पर अवैध निर्माण और अतिक्रमण के सम्बन्ध में रिपोर्ट एनजीटी के समक्ष प्रस्तुत की थी। ट्रिब्यूनल ने कहा कि "समस्या को जानते हुए भी रिपोर्ट में किसी तरह की प्रभावी कार्रवाई नहीं दिखती है, जबकि समस्या सबके सामने है।"

मेरठ विकास प्राधिकरण ने कोर्ट को आश्वासन दिया है कि इसके सन्दर्भ में जरुरी और जल्दी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही एनजीटी ने मेरठ विकास प्राधिकरण को निर्देश दिया है कि वो इस विषय पर 17 जुलाई, 2020 से पहले एक नई रिपोर्ट दाखिल करे।

Subscribe to our daily hindi newsletter