जानिए क्यों एनजीटी ने महाराष्ट्र पर लगाया 12,000 करोड़ का जुर्माना

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Monday 12 September 2022
 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने महाराष्ट्र पर 12,000 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। गौरतलब है कि एनजीटी ने यह जुर्माना तरल अपशिष्ट, सीवेज और लम्बे समय से जमा कचरे का ठीक से निपटान न करने के लिए लगाया है। कोर्ट के आदेशानुसार इस राशि को अगले दो महीनों के भीतर जमा करना है, जिसे पर्यावरण की बहाली के लिए खर्च किया जाएगा।

कोर्ट के अनुसार राज्य में सीवेज प्रबंधन और बहाली संबंधी कई उपाय किए जाएंगे। जिनमें सीवेज उपचार और उपयोग संबंधी प्रणालियों की स्थापना, पुराने सिस्टम को अपडेट करके उनकी पूरी क्षमता का उपयोग सुनिश्चित करना और उनके संचालन को अपग्रेड करना शामिल है। साथ ही फीकल कॉलीफॉर्म सहित अन्य मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करना। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में सीवेज और कीचड़ के प्रबंधन की व्यवस्था शामिल है।

इसी तरह ठोस कचरे के प्रबंधन के मामले में कार्य योजना तैयार की जाएगी। इस कार्ययोजना में वेस्ट प्रोसेसिंग संयंत्रों की स्थापना और बचे हुए 84 स्थलों में उपचार की व्यवस्था शामिल है। कोर्ट का कहना है कि राज्य में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के दिशानिर्देशों के अनुसार बायोरेमेडिएशन/बायो-माइनिंग प्रक्रियाओं को निष्पादित करने की जरुरत है।

इस मामले में न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की पीठ ने जोर देकर कहा है कि बहाली की इस योजना को बिना किसी देरी के निर्धारित समय में पूरा करने की जरुरत है।

श्रीकाकुलम में कचरे को अवैध रूप से डंप नहीं कर रही हैं ग्रेनाइट इकाइयां: समिति रिपोर्ट

संयुक्त समिति ने 8 सितंबर, 2022 को एनजीटी के समक्ष दायर अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि ग्रेनाइट काटने और चमकाने वाली इकाइयां अब कृषि भूमि पर संगमरमर और ग्रेनाइट के घोल को डंप नहीं कर रही हैं। मामला आंध्र प्रदेश में श्रीकाकुलम के हरिचंद्रपुरम रेलवे स्टेशन इलाके का है।

समिति ने जानकारी दी है कि अकेले श्रीकाकुलम जिले में ग्रेनाइट काटने और चमकाने वाली 128 इकाइयां हैं। इस बारे में ग्रेनाइट उद्योग संघ ने जानकारी दी है कि श्रीकाकुलम के हरिश्चंद्रपुरम रेलवे गेट और येथुरलापाडु (V) के पास कृषि भूमि पर डंप किए जा रहे कचरे को उठा लिया है। वहां से लगभग 100 से 125 टन कीचड़ हटाया गया है।

कमिटी ने कहा है कि हरिश्चंद्रपुरम रेलवे गेट और अन्य क्षेत्रों के पास कोई ग्रेनाइट कचरा जमा नहीं पाया गया है। साथ ही वहां पहले से जमा कचरे को हटा दिया गया है और क्षेत्र को पहले की तरह बहाल कर दिया है।

समिति ने यह भी जानकारी दी है कि वहां जमा डंप की जांच करने के लिए ग्रेनाइट कटिंग और पॉलिशिंग इकाइयों के सभी हिस्सों का निरीक्षण किया गया है। साथ ही वहां राष्ट्रीय राजमार्ग 16 और अन्य सड़कों पर कोई ताजा डंप नहीं देखा गया है।

भुवनेश्वर में जलाशयों पर होते अतिक्रमण को रोकने के लिए क्या उठाए गए कदम: एनजीटी

एनजीटी ने राज्य अधिकारियों से पूछा है कि उन्होंने भुवनेश्वर में जलाशयों पर होते अतिक्रमण को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। साथ ही कोर्ट ने अतिक्रमणों को रोकने के लिए उठाए गए कदमों का खुलासा करते हुए अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि कोर्ट ने यह आदेश श्रीकांत कुमार पाकल द्वारा दायर आवेदन पर कार्रवाई करते हुए दिया है।

उनका आरोप था कि भुवनेश्वर नगर निगम क्षेत्र के नयापल्ली मौजा में नयापाली हाजा और प्राकृतिक नाली संख्या 10 पर अतिक्रमण कर लिया गया है।

नरहरियानन्द तालाब संरक्षण के लिए उठाए जा रहे हैं उचित कदम: रिपोर्ट

अधिकारियों ने एनजीटी के समक्ष दायर रिपोर्ट में कहा है कि नरहरियानन्द तालाब के संरक्षण के लिए उचित कदम उठाए जा रहे हैं। मामला मध्य प्रदेश में  नरसिंगपुर के सैखेड़ा गांव का है। कोर्ट को जानकारी दी गई है कि वहां शहरी स्थानीय निकाय 2.6 एमएलडी की क्षमता वाला एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित कर रहा है।

इस प्लांट का निर्माण एमपीयूडीसीएल के माध्यम से किया जा रहा है और इसका करीब 80 फीसदी काम पूरा हो चुका है। गौरतलब है कि अधिकारियों ने यह रिपोर्ट 13 जुलाई, 2022 को एनजीटी द्वारा दिए आदेश पर कोर्ट में सबमिट की है।

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