वरियाना, जालंधर में डंप साइट पर नहीं छांटा जा रहा कचरा: संयुक्त समिति रिपोर्ट

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस डंप साइट पर नए या पुराने किसी भी कचरे का उपचार नहीं किया जा रहा है

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Wednesday 15 November 2023
 

संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि वरियाना में कपूरथला रोड पर स्थित जालंधर नगर निगम की डंप साइट पर कचरे को भेजने से पहले उसे अलग नहीं किया जा रहा है और न ही डंप साइट पर उसे छांटा जा रहा है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा चार अगस्त, 2023 को दिए आदेश पर सबमिट इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वहां नए या पुराने किसी भी कचरे का उपचार नहीं किया जा रहा है। गौरतलब है कि संयुक्त समिति ने पांच अक्टूबर 2023 को इस डंप साइट का दौरा किया था। देखा गया कि यह डंप साइट नगर निगम की सीमा के भीतर आती है और करीब 16.2 एकड़ क्षेत्र में फैली है और पिछले 30 वर्षों से उपयोग में है।

इस दौरे के समय कचरे से भरी करीब तीन ट्रॉलियां और तीन ट्रक साइट पर पहुंचे लेकिन उनमें से किसी को भी कवर नहीं किया गया था। न ही किसी भी वाहन कचरे को अलग-अलग रखा गया था।

2019 के बाद से रोजाना बढ़ते कचरे और उसके जमा होने के कारण इस डंप साइट पर करीब 15 लाख मीट्रिक टन कचरा जमा हो सकता है। वहीं काला संघियान नाला, जो साइट से करीब 400 मीटर की दूरी पर गुजरता है, वो भी उसके किनारे फेंके गए कचरे से प्रभावित है। इस कचरे की वजह से नाले में प्रदूषण बढ़ रहा है।

दिसंबर तक पूरा जाएगा कयालपट्टिनम नगर पालिका में वर्षों से जमा कचरे के निपटान का काम

तमिलनाडु के थूथुकुडी जिले की कयालपट्टिनम नगर पालिका में सालों से जमा कचरे के निपटान का काम दिसंबर 2023 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है।

गौरतलब है कि पप्पारापल्ली में 22,436 घन मीटर ठोस कचरे के निपटान के लिए 160.5 लाख रुपए की अनुमानित लागत वाली जैव-खनन परियोजना को मंजूरी दी गई थी। इस परियोजना की मंजूरी चेन्नई में नगरपालिका प्रशासन निदेशालय के मुख्य अभियंता ने जारी की थी। 

जानकारी दी गई है कि इस परियोजना के पहले तीन चरणों का काम पूरा हो चुका है। इस काम के पहले चरण के तौर पर 3,458 घन मीटर कचरे की बायोमाइनिंग का काम 24 दिसंबर, 2022 तक पूरा हो चुका था। इसी तरह काम के दूसरे चरण में, 13 अप्रैल, 2023 तक करीब 4,166 घन मीटर कचरे की बायोमाइनिंग हो चुकी है। वहीं तीसरे चरण में छह अक्टूबर 2023 तक 4,645 क्यूबिक मीटर कचरे की बायो माइनिंग की जा चुकी है।

यह भी जानकारी दी गई है कि मौजूदा समय में अन्ना विश्वविद्यालय द्वारा मापे गए करीब 10,167 घन मीटर कचरे के लिए चौथे चरण का काम किया जा रहा है और इसके 30 दिनों के भीतर हो जाने की सम्भावना है।

अदाविकोडु चैनल जल प्रदूषण मामले में एपीपीसीबी ने कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट

आंध्र प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एपीपीसीबी) द्वारा दायर रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम गोदावरी जिले के पलाकोडेरु मंडल के श्रुंगवृक्षम गांव के घरों से निकलने वाला सीवेज अदाविकोडु चैनल को दूषित कर रहा है।

एपीपीसीबी के अधिकारियों को टुंडुरु शाखा चैनल के दोनों किनारों पर मछली और झींगा पालन तालाब मिले हैं, जो श्रृंगवृक्षम से टुंडुरु गांव तक फैले हुए हैं। उन्होंने पाया कि खेती के बाद तालाब के पानी को पुनर्निर्देशित करने के लिए कोई अलग जल निकासी व्यवस्था नहीं है। वहीं मछली और झींगा तालाबों से निकलने वाले पानी को टुंडुरु शाखा चैनल से जोड़ने के लिए पाइप का उपयोग किया जाता है। जो अदाविकोडु चैनल का ही हिस्सा है।

इसके समाधान के रुप में अन्य उपायों के साथ-साथ 30 अक्टूबर, 2023 को श्रृंगवृक्षम गांव के पंचायत सचिव को भेजे एक पत्र का जिक्र किया है जिसमें इस गांव को सरकार की स्वच्छ भारत और खुले में शौच मुक्त योजनाओं में शामिल करने का अनुरोध किया है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सीवेज की वजह से दूषित होते पेयजल स्रोतों को बचाने के लिए पंचायत राज विभाग को निर्देश दिए जाने चाहिए। साथ ही ग्रामीण जल आपूर्ति (आरडब्ल्यूएस) विभाग को जल जीवन मिशन के माध्यम से साफ पानी की सार्वजनिक आपूर्ति करने के लिए एक पाइपलाइन का एक सुरक्षित नेटवर्क बिछाया जाना चाहिए।

इसके साथ ही गांव के पंचायत सचिव को नए घरों के निर्माण के लिए मंजूरी देते समय आस-पास की नहरों में सीवेज न बहाए जाने का भी निर्देश देना चाहिए। वहीं मौजूदा सीवेज पाइपलाइनों को सेप्टिक टैंकों की ओर पुनर्निर्देशित किया जाना चाहिए। यह सभी उपाय नौ नवंबर, 2023 को एपीपीसीबी द्वारा सुझाए गए थे।

गौरतलब है कि टुंडुरु गांव के थोटा गंगा राजू ने अदाविकोडु चैनल में होते प्रदूषण के बारे में एनजीटी के समक्ष दायर आवेदन में चिंता जताई थी। उन्होंने अपने आवेदन में अवैध मछली/झींगा पालन के साथ-साथ सिंचाई क्षेत्र पाइप संख्या 10 के माध्यम से श्रृंगवृक्षम ग्राम पंचायत से छोड़े जा रहे सीवेज और अन्य अपशिष्ट को लेकर भी शिकायत की थी।

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