कानपुर के रनिया और राखी मंडी में 1976 से मौजूद क्रोमियम डंप जल्द हो जाएगा साफ: रिपोर्ट

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Tuesday 16 May 2023
 

कानपुर के रनिया और राखी मंडी में 1976 से मौजूद क्रोमियम डंप जल्द ही साफ हो जाएगा। यह जानकारी निगरानी समिति ने अपनी रिपोर्ट में दी है। पता चला है कि उत्तर प्रदेश अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना ने 80,000 मीट्रिक टन में से 46,457.26 मीट्रिक टन कचरा उठा लिया है।

इतना ही नहीं करीब 27,000 मीट्रिक टन कचरे को ट्रीट किया गया है। इसी तरह भारत ऑयल एंड वेस्ट मैनेजमेंट लिमिटेड ने आबंटित 5,000 मीट्रिक टन कचरे में से 2,923.04 मीट्रिक टन को उठा लिया है और 1,579.3 मीट्रिक टन कचरे का उपचार किया गया है।

वहीं निगरानी समिति ने अपनी पूरक रिपोर्ट में एनजीटी को जानकारी दी है कि प्रसंस्करण इकाई ने कहा है कि उसे बरसात से पहले काम पूरा करना होगा ताकि भूजल में अपशिष्ट के रिसाव से बचा जा सके। निगरानी समिति ने काम का निरीक्षण किया है और पाया है कि ऐसा लगता है कि मई 2023 तक लक्ष्य हासिल हो जाएगा।

जानकारी मिली है कि कानपूर देहात के रनिया और कानपुर नगर के राखी मंडी क्षेत्र में क्रोमियम डंप के वैज्ञानिक निपटान का मामला 1976 से अटका है, जिसके चलते भूजल दूषित हो गया है।  नतीजन वहां रहने वाले लोगों को साफ और सुरक्षित पानी नहीं मिल रहा है।

गौरतलब है कि एनजीटी ने 23 सितंबर, 2022 को एक आदेश जारी किया था जिसमें पहले से जमा क्रोमियम कचरे के निपटान के लिए तत्काल कार्रवाई करने के लिए कहा था। साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए की भविष्य में ऐसी स्थिति न उत्पन्न हो, इसके लिए व्यवस्थित उपाय करने का निर्देश दिया था। इस मामले में समय -समय पर निगरानी समिति ने प्रगति की समीक्षा की थी और उसकी जानकारी रिपोर्ट के माध्यम से कोर्ट को सौंपी थी।

लखनऊ, कानपुर, आगरा सहित 10 शहरों में पानी के बढ़ते अवैध दोहन के लिए भरना होगा जुर्माना

उत्तर प्रदेश के 10 शहरों (लखनऊ, कानपुर, आगरा, मेरठ, गौतम बुद्ध नगर, बरेली, वाराणसी, झांसी, गाजियाबाद और गोरखपुर) में उन इकाइयों को पर्यावरणीय मुआवजा भरना होगा जो इन शहरों में अंधाधुंध बोरिंग और भूजल के अवैध दोहन में लगी हुई हैं। यह जानकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 15 मई, 2023 को एनजीटी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में दी है।

यूपीपीसीबी ने इन 10 शहरों के जिलाधिकारियों, एसपीसीबी के संबंधित क्षेत्रीय अधिकारियों और केंद्रीय भूजल बोर्ड के उत्तरी क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक को डिफॉल्टर इकाइयों को तय किए और लगाए गए अंतिम जुर्माने की राशि के बारे में सूचित करने के लिए कहा है। यह मुआवजा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा 17 अक्टूबर, 2022 को बनाई संयुक्त समिति ने निर्धारित किया है।

संयुक्त समिति ने अप्रैल 2023 में 2028 इकाइयों का निरीक्षण किया था। इनमें से 1650 इकाइयों की पहचान की गई है। इनके लिए कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं और जल एवं वायु अधिनियम के प्रावधानों के तहत इन्हें बंद करने जैसी कार्रवाई शुरू की गई हैं।

ऊना के दौलतपुर-गगरेट गुगलेहड़ मार्ग पर बिना इजाजत काट दिए 201 पेड़

जानकारी मिली है कि हिमाचल प्रदेश के ऊना में दौलतपुर-गगरेट गुगलेहड़ रोड पर एक ठेकेदार ने 201 पेड़ों की कटाई/छंटाई की है। हालांकि इस काट-छांट के लिए न तो सम्बंधित अधिकारियों से अनुमति ली गई और न ही इसके लिए उचित प्रक्रिया का पालन किया गया। इससे पेड़ों को काफी नुकसान पहुंचा है। ऐसे में क्षेत्र में तैनात वन रक्षकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी गई है और ठेकेदार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।

यह जानकारी 13 मई, 2023 को हिमाचल प्रदेश सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में दायर स्थिति रिपोर्ट में दी है। गौरतलब है कि इस मामले में एनजीटी ने 4 जुलाई, 2022 को एक समिति को स्थिति की जांच करने और जरूरी उपाय करने का निर्देश दिया था। समिति ने पाया है कि वहां 201 पेड़ों की कटाई/छंटाई की गई थी। मामले में वन विभाग की ओर से आपराधिक कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

समिति ने पर्यावरण मुआवजा वसूलने की संभावना पर भी चर्चा की है, लेकिन यह पाया गया कि कोई इस बाबत कोई मानक दिशानिर्देश या प्रावधान नहीं है। जिनके तहत पर्यावरणीय मुआवजा लगाया जा सके। पता चला है कि इसमें से अधिकांश पेड़ हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग (एचपीपीडब्ल्यूडी) के कब्जे वाली जमीन पर हैं। ऐसे में समिति ने सिफारिश की है कि एचपीपीडब्ल्यूडी सड़क के किनारे अपनी जमीन पर खड़े पेड़ों की छंटाई के लिए उचित तंत्र तैयार करे।

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