सीबीडी कॉप-15: साल 2030 तक के लिए तय किए गए 23 लक्ष्य

23 लक्ष्यों में कृषि सब्सिडी को कम करना, व्यवसायों को उनके जैव विविधता प्रभावों का आकलन और आक्रामक प्रजातियों के संकट से निपटना शामिल है

By Dayanidhi

On: Tuesday 20 December 2022
 
फोटो साभार : विकिमीडिया कॉमन्स, संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता

जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (सीबीडी) के पक्षकारों के 15वें सम्मेलन (कॉप 15) समाप्त हो गया। इस सम्मेलन में 2030 तक कम से कम 30 प्रतिशत धरती की रक्षा करने का लक्ष्य तय किया गया। की बात कही गई है। कुल मिलाकर 23 लक्ष्य तय किए गए, जिन्हें दुनिया को 2030 तक हासिल करना है। सम्मेलन में यह भी प्रस्ताव पारित किया गया कि अमीर देश, विकासशील देशों को हर साल 30 बिलियन डॉलर की सहायता देंगे, ताकि उनके पारिस्थितिक तंत्र को बचाया जा सके।  

यह प्रस्ताव शिखर सम्मेलन में प्रतिनिधित्व कर रहे देश चीन ने प्रस्तुत किया। वैज्ञानिकों का कहना है कि एक लाख प्रजातियां खतरे में हैं, इन सब को बचाने के लिए अगले दशक की कार्रवाई तय करना, 2025 तक विकासशील देशों की वित्तीय सहायता बढ़ाकर 20 बिलियन डॉलर सालाना करने का प्रस्ताव है। 2030 तक इसे बढ़ाकर हर साल 30 बिलियन डॉलर करने का प्रस्ताव है।

इसमें देशों को यह सुनिश्चित करने और सक्षम बनाने के लिए भी कहा गया है कि 2030 तक स्थलीय, आंतरिक और तटीय और समुद्री क्षेत्रों का कम से कम 30 प्रतिशत प्रभावी ढंग से संरक्षित और प्रबंधित करना शामिल है। मसौदे में स्वदेशी लोगों के अधिकारों की रक्षा करने वाली भाषा शामिल है, जो प्रचारकों की एक प्रमुख मांग रही है।

समझौते के बिंदुओं का बड़े पैमाने पर संरक्षणवादियों द्वारा स्वागत किया गया था, लेकिन अभी भी 196 हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा जैव विविधता पर सम्मेलन को अंतिम रूप देने से पहले इस पर सहमति की जरूरत है।

मॉन्ट्रियल में वार्ता की शुरुआत करते हुए, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने चेतावनी देते हुए कहा कि मानवता सामूहिक विलुप्ति का हथियार बन गई है। उन्होंने पार्टियों से प्रकृति के साथ शांति समझौता करने का आह्वान किया।

प्रकृति के लिए अभियान के ब्रायन ओ'डोनेल ने कहा, दुनिया की कम से कम 30 प्रतिशत भूमि और महासागरों की रक्षा और संरक्षण के लक्ष्य को शामिल करके, मसौदा के बिंदुओं, समुद्र और भूमि संरक्षण के इतिहास में इसे सबसे बड़ा संकल्प बनाता है। लेकिन मसौदे के कुछ बन्दुओं में कमी देखी गई है।

ब्रिटेन की रॉयल सोसाइटी फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ बर्ड्स की जॉर्जीना चांडलर ने कहा कि वह 2050 तक पारिस्थितिक तंत्र को बहाल करने के लिए प्रस्तावित किए गए उपायों की कमी के बारे में चिंतित है। उन्होंने कहा हम मूल रूप से 28 साल के समय तक प्रगति को माप नहीं रहे हैं, जो कि एक पागलपन है।

विवाद का एक अन्य प्रमुख मुद्दा वित्तपोषण तंत्र है। विकासशील देश, ब्राजील के नेतृत्व में, ग्लोबल नॉर्थ की संकल्प के लिए एक नए कोष के निर्माण की मांग कर रहे हैं। लेकिन मसौदा इसके बजाय एक समझौते का सुझाव देता है जो मौजूदा वैश्विक पर्यावरण सुविधा के भीतर एक ट्रस्ट फंड के रूप में होगा।

पर्यवेक्षकों ने कॉप 15 सम्मेलन के खतरे में पड़ने की चेतावनी दी थी क्योंकि विकासशील देशों ने एक बिंदु पर वार्ता से बाहर निकलने के साथ-साथ अमीर दुनिया को प्रयासों के लिए कितना भुगतान करना चाहिए, इस पर विवाद था।

लेकिन चीनी पर्यावरण मंत्री हुआंग रुनकिउ ने बीते शनिवार को कहा कि वह आम सहमति के लिए बेहद आश्वस्त थे और उनके कनाडाई समकक्ष स्टीवन गुइलबौल्ट ने इसमें जबरदस्त प्रगति होने की बात कही।

23 लक्ष्यों में पर्यावरणीय रूप से विनाशकारी कृषि सब्सिडी को कम करना, व्यवसायों को उनके जैव विविधता प्रभावों का आकलन और रिपोर्ट करने के लिए कहना और आक्रामक प्रजातियों के संकट से निपटना शामिल है।

लेकिन सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि अमीर देश विकासशील देशों को कितनी धन राशि देंगे, जहां धरती की अधिकांश जैव विविधता है। निम्न आय वाले देशों का कहना है कि विकसित देश अपने प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करके समृद्ध हुए हैं और इसलिए उन्हें अपने स्वयं के संसाधनों की रक्षा के लिए अच्छा भुगतान किया जाना चाहिए।

विकासशील देशों के लिए वर्तमान वित्तपोषण लगभग 10 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष होने का अनुमान है। कई देशों ने हाल ही में नए संकल्प लिए हैं। यूरोपीय संघ ने 2027 तक की अवधि के लिए सात बिलियन यूरो का संकल्प लिया है, जो इसके  पहले किए गए वादे से दोगुना है।

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