दिन में अधिक होता है झीलों से मीथेन का उत्सर्जन

मीथेन दूसरी सबसे अहम ग्रीनहाउस गैस है जो ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार है

By Dayanidhi

On: Tuesday 18 August 2020
 
Photo: Flickr

एक अध्ययन के अनुसार झीलों से मीथेन का प्रवाह रात की तुलना में दिन के दौरान काफी अधिक होता है। नतीजतन, शोध समूह का कहना है कि दुनिया भर में मीथेन उत्सर्जन के मामले में उत्तरी झीलों की भूमिका पहले लगाए गए अनुमानों से 15 फीसदी कम है। यह अध्ययन स्वीडन की लिंकोपिंग विश्वविद्यालय और उमेग विश्वविद्यालय (एलआईयू) के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है।

ताजे पानी की झीलें, नदियां और जलाशय मीथेन के उत्सर्जन का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत हैं। मीथेन दूसरी सबसे अहम ग्रीनहाउस गैस है जो ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार है। मीथेन ग्रीनहाउस गैस होने के नाते पिछले 250 वर्षों से वायुमंडल में सबसे अधिक मात्रा में बढ़ी है।

मीथेन कैसे बनती है ताजे पानी की झीलों, नदियों और जलाशयों में

प्राकृतिक मीथेन स्रोतों में वेटलैंड्स, ताजे पानी की झीलें, नदियां आदि शामिल हैं। एक अन्य शोध के अनुसार जल निकायों/झीलों में ऑक्सीजन की कमी के कारण ऐसे बैक्टीरिया पैदा हो रहे है जो गाद (सेडमन्ट) में मीथेन उत्पादित कर रहे हैं।  यह तब गैस के छोटे बुलबुले के रूप में पानी की सतह के नीचे से उपर उठते हैं और परिणामस्वरूप वायुमंडल में मिल जाती है। यह प्रक्रिया तापमान और जैविक सामग्री की उपलब्धता पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए, उष्णकटिबंधीय जलाशयों में बड़ी मात्रा में मीथेन का उत्सर्जन होता है।

अन्ना सीकजको कहते हैं मीथेन का प्रवाह अनियमित रूप से बढ़ गया है, हमें वास्तव में पता नहीं है ऐसा क्यों हो रहा है। अन्ना सिसेकोको थमैटिक स्टडीज विभाग में एनवायर्नमेंटल चेंज पर पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता है। जिन्होंने लिंकोपिंग विश्वविद्यालय और उमेग विश्वविद्यालय के सहयोगियों के साथ मिलकर यह अध्ययन किया है।

मीथेन का प्रवाह (फ्लक्स) समय और स्थान के अनुसार अलग-अलग होता है। शोधकर्ता मीथेन के सभी स्रोतों, इसके प्रवाहित होने, सिंक होने और प्रवाह के नियम को समझने की कोशिश कर रहे हैं। एनवायर्नमेंटल चेंज के प्रोफेसर डेविड बैस्टविकेन के नेतृत्व में एलआईयू शोध समूह ने झीलों से मीथेन के प्रवाह को मापा है- हाल ही में पृथ्वी पर दूसरा सबसे बड़ा प्राकृतिक मीथेन स्रोत होने का पता चला है। यह अध्ययन पीएनएएस, प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुआ है।

अन्ना सीकजको और उनके सहयोगियों ने गर्मियों की शुरुआत से शरद ऋतु तक, जबकि वहां पर बर्फ नहीं जमी थी उस दौरान विभिन्न प्रकार के चार झीलों पर दिन और रात मीथेन प्रवाह की तुलना करने के लिए 4,580 माप लिए। सीकजको कहते हैं कि पूर्व में झीलों से मीथेन का प्रवाह अक्सर मुख्य रूप से दिन के दौरान होता था, लेकिन अब हम दिन और रात दोनों समय में इसकी माप कर रहे हैं।

माप से पता चला कि मीथेन का 80 फीसदी प्रवाह 10:00 बजे से लेकर 04:00 तक काफी अधिक था। स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि हवा, जो आमतौर पर दिन के दौरान काफी तेज होती है, यह पानी में अशांति पैदा करती है जिससे मीथेन उत्सर्जन बढ़ जाता है। हवा इनमें से एक कारक हो सकती है, लेकिन अन्य पर्यावरणीय कारक दिन-रात के अंतर को प्रभावित कर सकते हैं।

अन्ना सिकाज़को कहते हैं कि ताजे पानी की झीलों से मीथेन उत्सर्जन की वर्तमान गणना में दिन और रात के बीच अंतर शामिल नहीं है, जिसका मतलब है कि उत्सर्जन के मामले में उत्तरी झीलों की भूमिका को लगभग 15 फीसदी से अधिक कर दिया गया है।

डेविड बैस्टविकेन कहते हैं इस अध्ययन में, यह आवश्यक है कि हमनें ग्रीनहाउस गैसों के सभी बड़े पैमाने पर प्रवाह का आकलन करते समय और स्थान में अंतर की पहचान पर विचार किया। यदि हम ऐसा नहीं करते, तो जलवायु मॉडल के गलत होने का खरता बढ़ जाएगा। सभी मीथेन स्रोतों और सिंक होने का अनुमान वैश्विक मीथेन बजट के माध्यम से जुड़ा हुआ है। कुछ प्रवाह के गलत अनुमान से पूरे बजट पर इसका प्रभाव पड़ेगा।

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