अल नीनो के चलते भारत, थाईलैंड के चीनी उत्पादन में आ सकती है गिरावट, कीमतों में देखी गई वृद्धि

एफएओ का अनुमान है कि 2023 में वैश्विक स्तर पर अनाज उत्पादन बढ़कर 281.9 करोड़ टन हो सकता है, जो पिछले साल की तुलना में 0.9 फीसदी अधिक है

By Lalit Maurya

On: Saturday 07 October 2023
 
आने वाले समय में महंगी हो सकती है मिठास; फोटो: आईस्टॉक

खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा जारी आंकड़ों से पता चला है कि वैश्विक स्तर पर सितम्बर के दौरान चीनी और मक्के की कीमतों में वृद्धि हुई है। एफएओ द्वारा हर महीने जारी किए जाने वाले खाद्य मूल्य सूचकांक के अनुसार अंतराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतों में करीब 9.8 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।

गौरतलब है कि चीनी मूल्य सूचकांक जो अगस्त 2023 में 148.2 अंक दर्ज किया गया था, वो सितम्बर 2023 में 14.5 अंकों की वृद्धि के साथ 162.7 दर्ज किया गया है। एफएओ के मुताबिक अंतराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतों में आने वाले इस उछाल के लिए चीनी आपूर्ति को लेकर बरकरार चिंताएं जिम्मेवार हैं।

कयास लगाए जा रहे हैं कि आगामी सीजन में चीनी की आपूर्ति में कमी आ सकती है। इस बारे में जो शुरूआती अनुमान सामने आए हैं उनके मुताबिक भारत और थाईलैंड दोनों जो प्रमुख चीनी उत्पादक देश हैं वो अल नीनो के चलते चीनी उत्पादन में कमी का अनुभव कर सकते हैं। हालांकि सौभाग्य से, ब्राजील में अनुकूल मौसम के चलते गन्ना उत्पादन बढ़ा है, जिससे दुनिया भर में चीनी की महीने-दर-महीने बढ़ती कीमतों को थामने में मदद मिली है।

वहीं अगस्त 2023 से सितम्बर 2023 के बीच अनाजों के लिए जारी किए जाने वाले मूल्य सूचकांक में 1.3 अंकों की वृद्धि दर्ज की गई है, जो 125 से बढ़कर सितम्बर 2023 में 126.3 अंकों पर पहुंच गया है।

इसके लिए कहीं न कहीं अंतराष्ट्रीय बाजार में मक्का की कीमतों में आई वृद्धि जिम्मेवार है, जिसमें करीब सात फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। इसकी मुख्य ब्राजील में मक्के की मांग में आई वृद्धि है। साथ ही अर्जेंटीना में किसानों द्वारा बिक्री में कमी, अमेरिका में मिसिसिपी के घटते जल स्तर के चलते माल ढुलाई को दरों में भी वृद्धि हुई है। यह भी इसकी बढ़ती कीमतों की वजहें रही।

अनाज उत्पादन में हो सकती है इस साल करीब एक फीसदी की वृद्धि

हालांकि रूस द्वारा पर्याप्त मात्रा में की जा रही आपूर्ति और उत्पादन में बढ़ोतरी की संभावनाओं के बीच अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतों में 1.6 फीसदी की गिरावट आई है। इसके अतिरिक्त, चावल आयात की घटती मांग के कारण चावल के मूल्य सूचकांक में भी 0.5 फीसदी की कमी देखी गई है।

कुल मिलकर देखें तो संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर में, खाद्य वस्तुओं की कीमतों ज्यादातर स्थिर रहीं हैं क्योंकि वनस्पति तेल, डेयरी और मांस की कीमतों में आई गिरावट ने चीनी और मक्के की कीमतों में हुई उल्लेखनीय वृद्धि को संतुलित कर दिया था। सितम्बर में वनस्पति तेल के लिए जारी मूल्य सूचकांक में भी अगस्त 2023 की तुलना में 3.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, जिसमें पाम, सूरजमुखी, सोया और रेपसीड तेलों के लिए अंतरराष्ट्रीय मांग में गिरावट आई है, जो आंशिक रूप से बढ़े हुए मौसमी उत्पादन और प्रचुर मात्रा में होते वैश्विक निर्यात की वजह से है। 

गौरतलब है कि एफएओ का वैश्विक खाद्य मूल्य सूचकांक, व्यापारिक खाद्य उत्पादों की वैश्विक कीमतों में हर महीने आते उतार चढ़ाव पर नजर रखता है। सितंबर 2023 में यह सूचकांक औसतन 121.5 अंक था, जो अगस्त 2023 (121.4) की तुलना में थोड़ा ऊपर है। हालांकि हमें यह ध्यान रखना होगा कि सूचकांक वर्तमान में एक साल पहले के अपने मूल्य से करीब 10.7 फीसदी कम है, जबकि और मार्च 2022 में जब यह अपने  शिखर पर पहुंच गया था उसकी तुलना में करीब 24 फीसदी नीचे है।

अच्छी खबर यह है कि 2023 में वैश्विक स्तर पर अनाज उत्पादन बढ़कर 281.9 करोड़ टन हो सकता है, जो पिछले साल की तुलना में 0.9 फीसदी अधिक है।

अनुमान है कि रूस-यूक्रेन में मौसम की अनुकूल परिस्थितियों के चलते उपज में बढ़ोतरी हो सकती है, जो इसकी सबसे बड़ी वजह है। वहीं दूसरी तरफ कनाडा के प्रमुख फसल उत्पादक क्षेत्रों पर शुष्क मौसम की जो मार पड़ रही है, उससे उत्पादन में कमी के कयास लगाए जा रहे हैं। मोटे तौर पर एफएओ अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर गेहूं उत्पादन 78.5 करोड़ टन पर पहुंच सकता है। वहीं मोटे अनाज का उत्पादन 151.1 करोड़ टन रह सकता है, जो 2022 की तुलना में 2.7 फीसदी अधिक है। इसी तरह वैश्विक स्तर पर चावल का उत्पादन 52.3 करोड़ टन रहने की उम्मीद है। 

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