ग्लोबल साउथ में रहने वाली आबादी झेलेगी साफ पानी की कमी का सबसे बड़ा संकट : अध्ययन

अध्ययन के मुताबिक, वर्तमान में दुनिया भर में 55 फीसदी आबादी उन क्षेत्रों में रहती है जहां हर साल कम से कम एक महीने साफ पानी की कमी होती है, सदी के अंत तक, इसके 66 फीसदी होने के आसार हैं।

By Dayanidhi

On: Friday 24 May 2024
 
भविष्य में पानी के संकट के ग्लोबल साउथ में सबसे ज्यादा होने के आसार हैं। फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, संजीव बोंडे

नीदरलैंड स्थित यूट्रेक्ट यूनिवर्सिटी के एक नए अध्ययन के मुताबिक, जलवायु और सामाजिक आर्थिक बदलाव के साथ पानी की कमी तेज हो जाएगी, जिससे ग्लोबल साउथ के लोगों पर भारी असर पड़ेगा।

मनुष्य को पीने और साफ सफाई के साथ-साथ भोजन, ऊर्जा और वस्तुओं के उत्पादन के लिए भी साफ पानी की जरूरत पड़ती है। दुनिया भर में कहीं न कहीं लोग और नीति निर्माता पानी की कमी के मुद्दों से जूझ रहे हैं। इस अध्ययन के माध्यम से शोधकर्ताओं दुनिया भर में बढ़ते साफ पानी के संकट पर प्रकाश डाल रहे हैं।

वर्तमान एवं भविष्य में पानी की कमी

अत्याधुनिक पानी की मात्रा और गुणवत्ता मॉडल के सिमुलेशन का उपयोग करके, शोधकर्ताओं ने वर्तमान और भविष्य में दुनिया भर में पानी की कमी का आकलन किया है।

शोधकर्ता अध्ययन के हवाले से कहते है कि जलवायु परिवर्तन और सामाजिक आर्थिक विकास का भविष्य में पानी के संसाधनों की उपलब्धता और गुणवत्ता और मांगों पर बहुआयामी प्रभाव पड़ेगा। भविष्य में पानी की कमी के मूल्यांकन के लिए इन तीन पहलुओं में बदलाव का होना महत्वपूर्ण हैं।

अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि वर्तमान में दुनिया भर में 55 फीसदी आबादी उन क्षेत्रों में रहती है जहां हर साल कम से कम एक महीने साफ पानी की कमी होती है, सदी के अंत तक, इसके 66 फीसदी होने के आसार हैं।

भविष्य में पानी की कमी में क्षेत्रीय अंतर

भविष्य में दुनिया भर में पानी की कमी के और बढ़ने का अनुमान है, बदलाव और प्रभाव दोनों ही विश्व के सभी क्षेत्रों में समान रूप से नहीं होंगे। उदाहरण के लिए, पश्चिमी यूरोप और उत्तरी अमेरिका में पानी की कमी में भावी वृद्धि साल के कुछ ही महीनों होती है। इसके विपरीत, विकासशील देशों में पानी की कमी आम तौर पर बहुत ज्यादा होती है और साल में अधिकतर बनी रहती है।

भविष्य में पानी की कमी का संकट ग्लोबल साउथ में सबसे ज्यादा होने के आसार हैं। ये आम तौर पर तेजी से बढ़ती जनसंख्या और आर्थिक विकास, जलवायु परिवर्तन और पानी की बिगड़ती गुणवत्ता के कारण ऐसा हो सकता है।

गुणवत्ता: पानी की कमी का अनदेखा पहलू

अध्ययन के मुताबिक, पानी की गुणवत्ता - सुरक्षित पानी के उपयोग के लिए जरूरी होने के बावजूद पानी की कमी का आकलन कम किया जाता है। पिछले आकलन अभी भी मुख्य रूप से पानी की मात्रा के पहलुओं पर ही गौर करते हैं। फिर भी, पानी का सुरक्षित उपयोग गुणवत्ता पर भी निर्भर करता है।

इसलिए, इस अध्ययन का एक मुख्य उद्देश्य पानी की कमी के आकलन में पानी की गुणवत्ता को शामिल करने और पानी की कमी को कम करने के लिए प्रबंधन रणनीतियों के डिजाइन को सामान्य बनाना भी है।

नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित अध्ययन के निष्कर्षों में कहा गया है कि स्वच्छ पानी की कमी मनुष्य और पारिस्थितिक तंत्र दोनों के लिए एक बहुत बड़े खतरे को सामने लाती है, जिसे नजरअंदाज करना कठिन होता जा रहा है। अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालता है कि हमारी पानी की मांग को काफी हद तक कम करने के साथ-साथ, हमें दुनिया भर में पानी के संकट पर काबू पाने के लिए जल प्रदूषण को खत्म करने पर भी उतना ही अधिक ध्यान देना होगा। 

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