नर्मदापुरम में इको-सेंसिटिव जोन के उल्लंघन के आरोपों की जांच करेगी विशेषज्ञ समिति

पर्यावरण को लेकर अदालतों में चल रहे मामलों पर 20 फरवरी 2024 को क्या हुआ, यहां जानें-

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Wednesday 21 February 2024
 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सेंट्रल बेंच ने बाघ अभयारण्य में इको-सेंसिटिव जोन के उल्लंघन के आरोपों की जांच के लिए पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति के गठन का निर्देश दिया है। मामला मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले का है। आरोप है कि इको-सेंसिटिव जोन का उल्लंघन बाघों के अस्तित्व और पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।

ऐसे में कोर्ट ने 16 फरवरी 2024 को समिति से साईट का दौरा करने के साथ तीन सप्ताह के भीतर की गई कार्रवाई पर एक तथ्यात्मक रिपोर्ट सौंपने को भी कहा है। 

पनडुब्बियों की मदद से सिंध नदी में चल रहा अवैध खनन का खेल, एनजीटी ने शुरू की कार्रवाई

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सिंध नदी के चितारा घाट पर होते अवैध खनन पर एक अखबार में छपी रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई शुरू कर दी है। मामला मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले का है।

गौरतलब है कि 16 फरवरी, 2024 को दैनिक भास्कर में सिंध नदी के चित्रघाट पर हो रहे अवैध खनन को लेकर रिपोर्ट छपी थी। इस रिपोर्ट में डीजल इंजन पंपिंग सेट की मदद से नदी की मुख्य धारा में हो रहे रेत खनन पर प्रकाश डाला गया था। इस खनन के लिए घरेलू पनडुब्बियों का उपयोग किया जा रहा था।

रिपोर्ट के मुताबिक ये मशीनें नदी से पानी और रेत खींचती हैं और राजस्व जमा किए बिना व्यावसायिक उपयोग के लिए इसे अन्यत्र जमा करती हैं। इसकी वजह से राज्य के खजाने को भारी नुकसान होता है और साथ ही इसके लिए पर्यावरण नियमों का भी उल्लंघन किया जा रहा है।

एनजीटी की सेंट्रल बेंच का कहना है कि इस खबर में पर्यावरण से सम्बंधित एक मुद्दे को उठाया गया है। ऐसे में कोर्ट ने मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, शिवपुरी में खनन अधिकारी और पुलिस अधीक्षक सहित संबंधित अधिकारियों को नोटिस भेजने का निर्देश दिया है। अदालत ने दो सदस्यीय समिति से साइट का दौरा करने और छह सप्ताह के भीतर की गई कार्रवाई के साथ एक तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रदान करने के लिए भी कहा गया है। 

इस मामले में अगली सुनवाई 19 अप्रैल, 2024 को होगी।

सीकर में अवैध पत्थर खनन के आरोपों की जांच के लिए गठित की गई संयुक्त समिति

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने खनन पट्टे के आबंटन के संबंध में दायर शिकायत पर विचार करते हुए दो सदस्यीय समिति को जांच के निर्देश दिए हैं। मामला राजस्थान में सीकर के डूंगर फगनवास के काला खेड़ा गांव का है।

इस समिति में सीकर के जिला कलेक्टर के साथ राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि शामिल होंगे। कोर्ट ने इस समिति से छह सप्ताह के भीतर की गई कार्रवाई के साथ एक तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। गौरतलब है कि आवेदक की चिंता पहाड़ियों और एक आवासीय क्षेत्र के करीब चिनाई पत्थर के लिए जारी खनन पट्टे को लेकर थी। यह पहाड़ी राजस्थान के सीकर जिले में काला खेड़ा गांव के पास स्थित है।

शिकायतकर्ता के मुताबिक इस खनन पट्टे को आबंटित करते समय आवासीय क्षेत्र से दूरी संबंधी मानकों का पालन नहीं किया गया है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि इस खनन पट्टे को आबंटित करते समय आवासीय क्षेत्र से दूरी संबंधी मानकों का पालन नहीं किया गया है। उनके मुताबिक आवासीय और वन क्षेत्रों के पास भारी विस्फोट और क्रशर के चलने से मानव जीवन और वन्यजीवों को खतरा पैदा हो रहा है। इसके अतिरिक्त, अतिक्रमण आवंटित वन क्षेत्र की सीमा से आगे बढ़ गया है।

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