कानून से बचने के लिए क्या रास्ता अपनाते हैं आरओ प्लांट संचालक?

आरओ प्लांट्स गुणवत्ता मानकों से बचने के लिए खुला पानी बेच रहे हैं

By Vivek Mishra

On: Tuesday 26 March 2024
 
फोटो: विकास चौधरी / सीएसई

रिवर्स ऑसमोसिस यानी आरओ वाटर के नाम पर देश में चल रहे खेल को लेकर अब तक आप पढ़ चुके हैं एक दशक में दोगुना हुआ आरओ का बाजार, भूजल दोहन बढ़ा , मानकों से खेल रहे हैं पानी के व्यापारी, क्या है टीडीएस का भ्रम? , क्या सच में सुरक्षित है आरओ का पानी, कहीं बीमार तो नहीं कर रहा?आरओ से जुड़े सवालों पर क्या बोले केंट आरओ सिस्टम्स के चेयरमैन महेश गुप्ता?

पढ़ें अंतिम कड़ी - 

दिल्ली से लेकर देश के सूखाग्रस्त इलाकों में भी भूजल निकालकर आरओ प्लांट्स के जरिए पानी फिल्टर करने की होड़ चल पड़ी है। इसमें अनगिनत प्लांट्स ऐसे हैं जिनके पास किसी तरह की अनुमतियां नहीं हैं और न ही वे भारत मानक ब्यूरो के दायरे में ही आते हैं। दिल्ली ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार में ऐसे कई जिले हैं जहां एक भी बीआईएस मानक पर रजिस्टर्ड व्यावसायिक प्लांट नहीं हैं। हालांकि, जमीन पर ऐसे प्लांट्स काफी बढ़ गए हैं।

व्यावसायिक आरओ प्लांट ने ऐसे रास्ते खोजे हैं जिनसे इन्हें पानी आपूर्ति में बाधा न आए। इन प्लांट को बीआईएस मानक लेना अनिवार्य है लेकिन यह निमय उन्हीं पर लागू है जो पानी को बंद जार या पैकेट में बेचते हैं। जबकि आरओ प्लांट्स से जो खुला पानी बेचते हैं वह नियम के दायरे में नहीं आते। ऐसे आरओ प्लांट्स को जमीन से पानी निकालने के लिए केंद्रीय भूजल बोर्ड, संचालन के लिए नगर निगम या नगर पालिका, बिजली विभाग, उद्यम विभाग से अनुमतियां लेनी होती हैं।

उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद में बीते एक वर्ष में 122 ऐसे आरओ व्यावसायि प्लांट पर कार्रवाई की गई है जो खुला या खुले जार में पानी बेच रहे थे। गाजियाबद भूजल के मामले में एक नोटिफाई क्षेत्र यानी संवेदनशील है। गाजियाबाद डिस्ट्रिक्ट वाटर काउंसिल के नोडल अधिकारी एग्जीक्यूटिव इंजीनियर हरिओम सिंह डाउन टू अर्थ से बताते हैं कि आरओ प्लांट के जरिए खुला पानी बेचने वाले बीआईएस के रेग्युलेशन में नहीं आते और छिपकर काम करते हैं। वह ह बताते हैं कि अभी उनके पास जब कोई शिकायत आती है तो तभी वह कार्रवाई करते हैं। इन प्लांट्स की गिनती को लेकर या सर्वे को लेकर अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।

देश में करीब 6328 यूनिट्स ही बीआईएस मानक 4543:2016 के तहत लाइसेंसधारी हैं। बीआईएस का मानक आईएस 14543:2016 व्यावसायिक आरओ प्लांट्स को यह सुनिश्चित करने के लिए कहता है कि वह पानी को पैक करके बेचे और ग्राहकों को तय गुणवत्ता की संपूर्ण जानकारी दे। इस मानक के तहत आरओ प्लांट वाले को हर पैक या जार पर न सिर्फ मैनुफैक्चरिंग, उत्पादन, पैकेजिंग की तारीख की पूरी जानकारी बल्कि एक्सपायरी और पानी के विभिन्न पैरामीटर्स की विस्तृत जानकारी देनी होती है। साथ ही पैकेट और बोतल भी मानकों के अनुरूप होना चाहिए। हालांकि, इन नियमों का बिल्कुल पालन नहीं किया जाता। सबसे बड़ी बात यह है कि इस लाइसेंस को हर साल रिन्यू कराना होता है लेकिन ज्यादातर इसे समय पर मानक लाइसेंस को रीन्यू नहीं कराती हैं।

यह लेख मूल रूप से डाउन टू अर्थ मार्च 2024 के आवरण कथा में प्रकाशित हुआ था। 
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व्यावसायिक आरओ प्लांट्स की तरह घरेलू आरओ सिस्टम के लिए भी मानक और नियम बनाए गए हैं , जिनका पालन नहीं किया जा रहा। किसी भी प्वाइंट ऑफ यूज आरओ सिस्टम निर्माता कंपनी और प्लांट के लिए बीआईएस का स्टैंडर्ड मार्क लेना जरूरी है। बीआईएस ने इसके लिए लाइसेंस की प्रक्रिया रखी है। प्वाइंट ऑफ यूज आरओ सिस्टम वह है जिसके तहत पानी बाहर वितरित नहीं किया जा सकता है।

आरटीआई के जरिए बीआईएस के दिए गए एक जवाब से डीटीई को पता चला कि भारत में 50 लीटर प्रति घंटा पानी उत्पादन की क्षमता वाले घरेलू स्तर के आरओ सिस्टम की आपूर्ति करने वाली कुल 38 कंपनियां ही ऐसी हैं जिनके पास आईएस 16240 मानक का लाइसेंस है।

50 लीटर प्रति घंटा तक क्षमता वाले घरेलू आरओ सिस्टम के लिए मार्च, 2023 में बीआईएस ने आईएस 16240 का नवीन लाइसेंस जारी किया है। इससे पहले घरेलू आरओ के लिए आईएस 16240:2015 मानक लागू था, जिसे दिसंबर में रद्द कर दिया गया। इसके तहत डोमेस्टिक पीओयू 25 लीटर प्रति घंटा क्षमता वाले आरओ प्रणाली को बेचने के लिए मानक लाइसेंस लेना अनिवार्य था।

2023 के नवीन मानक के तहत घरेलू आरओ बेचने वाली कंपनियों को पेयजल की शुद्धता आईएस 10500 : 2012 के मुताबिक रखनी है। बाजार में हजारों कंपनियां नॉन ब्रांड बनकर आरओ सिस्टम बेच रही हैं जो इन लाइसेंस प्रक्रिया का पालन नहीं कर रहीं।

यहां तक कि देश की 38 कंपनियां जो आईएस 16240 के तहत मानक लाइसेंस वाली हैं उनमें से कई ऐसे हैं जिनके पास 50 लीटर प्रति घंटा से अधिक क्षमता वाला आरओ प्रणाली बेचने का कोई मानक नहीं है लेकिन वह बाजार में बिना मानक 1000 लीटर प्रति घंटा और उससे भी अधिक क्षमता वाली आरओ मशीनें बेच रही हैं।

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