पश्चिम बंगाल में नियमों को ताक पर रख चल रहे 'शिकार उत्सव', कोर्ट ने वन्यजीवों की हत्या को बताया जघन्य अपराध

बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि समिति को यह सुनिश्चित करने के सभी उपाय किए जाने चाहिए कि जंगली जानवरों की अंधाधुंध हत्या न हो

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Tuesday 17 October 2023
 

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 13 अक्टूबर, 2023 को दिए अपने आदेश में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए बीरभूम और पूर्व बर्दवान जिलों के लिए 'मानवीय समिति' के गठन का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि वन विभाग द्वारा पकड़े गए अधिकांश अपराधी इन्हीं दो जिलों के थे।

यह समितियां पश्चिम मेदिनीपुर, बांकुरा, पुरुलिया, झाड़ग्राम, मुर्शिदाबाद, बीरभूम और पूर्व बर्दवान जिलों के स्थानीय लोगों को जानवरों की अंधाधुंध और बिना मकसद के की जा रही हत्या के खिलाफ जागरूक करने के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करेंगी। आदेश में कहा गया है कि ऐसे कार्यक्रम पूरे साल जारी रहने चाहिए। साथ ही स्थानीय लोगों से व्यक्तिगत संवाद करने की बात भी कोर्ट ने कही है।

इस मामले में न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी और न्यायमूर्ति अपूर्व सिन्हा रे की पीठ ने कहा है कि, दूसरे शब्दों में, प्रत्येक जिले के लिए समिति को यह सुनिश्चित करने के लिए सभी उपाय किए जाने चाहिए कि जंगली जानवरों की अंधाधुंध हत्या न हो।

गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने 20 फरवरी, 2023 को पांच जिलों पश्चिम मेदिनीपुर, बांकुरा, पुरुलिया, झाड़ग्राम और मुर्शिदाबाद के लिए जिला स्तर पर एक समिति का गठन किया था जिसे 'मानवीय समिति' नाम दिया गया था। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि, "खुशी जाहिर करने और झूठी ताकत के कथित प्रदर्शन के लिए जंगली जानवरों की संवेदनहीन हत्या, हमारी राय में, भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत हत्या के अपराध के समान ही जघन्य अपराध है।"

यह निर्णय एक याचिका के जवाब में दिया गया है जिसमें पश्चिम बंगाल के मुख्य वन्यजीव वार्डन पर 18 अप्रैल, 2019 को जारी उच्च न्यायालय के पिछले निर्देश का पालन नहीं करने का आरोप लगाया गया था। उस पहले निर्देश ने दक्षिण बंगाल के जिलों में शिकार उत्सवों पर रोक लगा दी थी।

गौरतलब है कि मई 2022 में ह्यूमन एंड एनवायरनमेंट अलायंस लीग (हील) नाम के एक एनजीओ ने अवमानना याचिका दायर की थी। अपनी इस याचिका में दावा किया था कि शिकार उत्सव अभी भी बिना किसी रुकावट के हो रहे हैं, जो 2019 के आदेश के खिलाफ है।

एनजीटी ने भोपाल में पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने वाले रेस्तरां को नोटिस जारी करने के दिए निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सेंट्रल बेंच ने पर्यावरण मानदंडों के कथित उल्लंघन के लिए भोपाल में करीब 13 रेस्तरां को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। साथ ही मध्य प्रदेश सरकार, भोपाल नगर निगम और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी नोटिस जारी किया है। मामले में ट्रिब्यूनल ने 13 अक्टूबर 2023 को तीन सदस्यीय समिति को इस मामले पर रिपोर्ट सबमिट करने का भी निर्देश दिया है।

अदालत ने पाया कि रेस्तरां और नगर आयुक्त को कई पत्र और अनुरोध जारी किए जाने के बावजूद उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। इसलिए, अदालत ने भोपाल के नगर आयुक्त को स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है कि उन्होंने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) की रिपोर्ट पर कार्रवाई क्यों नहीं की और ये रेस्तरां आवश्यक अनुमति के बिना कैसे चल रहे हैं।

अपने आवेदन में आवेदक ने इसे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की गाइडलाइन संख्या 3.4 का उल्लंघन बताया है। इस दिशानिर्देश के अनुसार, सड़क किनारे के सभी भोजनालयों, रेस्तरां और अन्य प्रतिष्ठानों को अपना व्यवसाय शुरू करने और चलाने के लिए संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से सहमति लेनी अनिवार्य होती है।

आवेदक के अनुसार यह रेस्तरां अधिकारियों से आवश्यक परमिट सीटीई/सीटीओ के बिना चल रहे हैं। वे सही वेंटिलेशन और निकास प्रणाली के बिना अपने तंदूरों में कोयले और लकड़ी का उपयोग कर रहे हैं। इसके अलावा, वे ठोस कचरे को खुलेआम डंप करके और दूषित जल को सीधे सीवर में छोड़ रहे हैं जो 2016 के ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमों का उल्लंघन है।

डीडवाना नगर निगम द्वारा किया जा रहा कचरे का कुप्रबंधन, जांच के लिए समिति गठित

डीडवाना नगर निगम द्वारा कचरे के कुप्रबंधन का मुद्दा उठाने वाले एक आवेदन पर विचार करते हुए एनजीटी ने चार सदस्यीय समिति को इस मामले की जांच  का निर्देश दिया है। पूरा मामला राजस्थान के डीडवाना का है। यह समिति तथ्यों की जांच करेगी। साथ ही बहाली के लिए उपाय करेगी और चार सप्ताह के भीतर मामले में कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

16 अक्टूबर 2023 को अदालत ने अपनी राय व्यक्त करते हुई कहा थी कि आवेदन में पर्यावरण से सम्बंधित महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया गया है और ऐसे में कोर्ट ने सभी उत्तरदाताओं को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। इन सभी को छह सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करना होगा।

आवेदक की शिकायत डीडवाना नगर निगम द्वारा कचरा प्रबंधन, वन संरक्षण नियम, जल अधिनियम 1974, वायु अधिनियम 1981 और पर्यावरण अधिनियम 1986 के उल्लंघन से संबंधित है। शिकायतकर्ता के अनुसार, डीडवाना नगर निगम जमीन के एक हिस्से का उपयोग प्लास्टिक की थैलियों और मृत जानवरों सहित कचरे के डंपिंग ग्राउंड के रूप में कर रहा है। इससे आसपास के हरित क्षेत्र को नुकसान पहुंच रहा है।

शिकायत में कहा गया है कि औद्योगिक क्षेत्र भूखंड के ठीक सामने है, और आस-पास के कई उद्योग प्लास्टिक बैग, कचरा और दूसरे ठोस कचरे को डंप करने के लिए भूखंड का उपयोग कर रहे हैं। शिकायत के अनुसार, वे कचरे के समाधान या निपटान के लिए उचित कदम उठाए बिना ऐसा कर रहे हैं।

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